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मिथिला पेंटिंग रोजगार सृजन में कारगर : उप कमांडेन्ट अमित कुमार कुशवाहा

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लदनियां से अमरनाथ यादव की रिपोर्ट

मधुबनी /18 वीं वाहिनी एसएसबी, बी समवाय अर्राहा के अंतर्गत के.एमवाय. जे.के.बी.वाय. कॉलेज के तत्वावधान में रामा फाउंडेशन द्वारा आयोजित 21 दिवसीय मिथिला पेंटिंग निःशुल्क प्रशिक्षण शिविर का उप कमांडेन्ट अमित कुमार कुशवाहा ने दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारंभ किया।

कार्यक्रम में हस्तशिल्प कारीगरों के कलाकृतियों का निःशुल्क मिथिला पेंटिंग प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए मुखिया लाल बिहारी मंडल ने इस आयोजन के लिए कमांडेन्ट अरविंद वर्मा को बधाई देते हुए कहा कि इस तरह के आयोजन से स्थानीय स्तर के कला और हस्तशिल्प कारीगरों को उचित मंच मिल सकेगा और उन्हें अपने कला के लिए उचित बाजार भी उपलब्ध हो सकेगा। उन्होंने कहा कि मिथिला पेंटिंग आज पूरे विश्व में एक अलग मुकाम हासिल कर लिया है। उन्होंने कहा कि इसके बाद घर के लोगों से आप आग्रह करें कि भविष्य में जब वैसा ही कोई उत्पाद खरीदा जाए तो वह भारत में बना हो। उप कमांडेन्ट महोदय ने कहा कि प्रधानमंत्री का सपना है कि अगले 25 सालों में देश एक अलग मुकाम पर पहुंचे और सामर्थ्यवान बने, उसमें बहुत बड़ी भूमिका वोकल फॉर लोकल अभियान का होगा। उन्होंने कहा कि आज देश में जो नीतियां बन रही है, उसमें स्थानीय उत्पाद को जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अब स्थानीय उत्पादों का प्रयोग करने, इसका प्रचार गर्व से करने तथा वैश्विक बनाने का समय आ गया है। इस दौरान सभी हस्तशिल्प कारीगर काफी खुश नजर आए।
विश्व प्रसिद्ध मधुबनी पेंटिंग को बढ़ावा देने के लिए मिथिला पेंटिंग,मिथिला पेंटिंग से सजी साड़ी, कपड़े,पाग-दुपट्टा और स्थानीय स्तर पर बनाए जाने वाले सजावट के सामान उपलब्ध हैं।
मिथिला पेंटिंग के कई तरह के प्रोडक्ट बनाता है। उसे देश भर में भेजे जाते हैं।
उन्होंने कहा कि मिथिला पेंटिंग भले ही विश्व प्रसिद्ध हो लेकिन उसके कलाकारों की स्थिति अच्छी नहीं है। अब सरकारी स्तर पर और स्वयंसेवी सहायता समूहों की ओर से कलाकारों के लिए काफी कुछ किया जा रहा है। उनकी स्थिति सुधर रही है।

उन्होंने कहा कि मधुबनी रेलवे स्टेशन पर बड़ी संख्या में यात्री आते हैं और वे इस मिथिला पेंटिंग से सजे इस कला को देखकर संस्कृति को दूर-दूर तक पहुंचाने में मदद करती हैं।
महिलाओं के रोजगार सृजन में मिथिला पेंटिंग अहम साबित हो रहा है। इसके जरिए वर्तमान दौर में कलाकारों को ना सिर्फ आमदनी हो रही है, बल्कि उन्हें ख्याति भी मिल रही है। वैसे मिथिला पेंटिंग का जुड़ाव मिथिलांचल की संस्कृति से रहा है। इस पेंटिंग कला का ईजाद मिथिला की महिलाओं ने ही किया है।
प्रशिक्षिका अर्चना ठाकुर ने बताया कि शिविर में मिथिला पेंटिंग बनाने के साथ ही ऑनलाइन मॉर्केटिंग का भी गुर सिखाया जाएगा।
यह मिथिला की प्राचीन महिलाओं की नैसर्गिक प्रतिभा का भी बोधक है।
मधुबनी एक पारंपरिक कला रूप है जिसकी उत्पत्ति भारत के बिहार के मिथिला क्षेत्र में हुई थी। यह पेंटिंग का एक रूप है जिसकी विशेषता इसके जटिल पैटर्न, चमकीले रंग और प्राकृतिक सामग्रियों का उपयोग है। मधुबनी पेंटिंग आमतौर पर धार्मिक और पौराणिक विषयों के साथ-साथ रोजमर्रा की जिंदगी के दृश्यों को दर्शाती हैं।
मधुबनी कला को अपनी अनूठी शैली और सांस्कृतिक महत्व के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है। 2012 में, मधुबनी पेंटिंग शैली को भारत सरकार द्वारा भौगोलिक संकेत (जीआई) का दर्जा दिया गया था। यह मान्यता सुनिश्चित करती है कि केवल बिहार के मिथिला क्षेत्र के कलाकार ही मधुबनी पेंटिंग बना और बेच सकते हैं, इस प्रकार कला के रूप की प्रामाणिकता की रक्षा की जा सकती है।
IMG 20230223 WA0016 मिथिला पेंटिंग रोजगार सृजन में कारगर : उप कमांडेन्ट अमित कुमार कुशवाहामधुबनी कला का महत्व न केवल इसके सौंदर्य सौंदर्य में बल्कि इसके सांस्कृतिक महत्व में भी निहित है। मधुबनी पेंटिंग्स मिथिला क्षेत्र के पारंपरिक अनुष्ठानों और समारोहों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। इनका उपयोग अक्सर शादियों और अन्य उत्सव के अवसरों के दौरान घरों की दीवारों और फर्श को सजाने के लिए किया जाता है। इसके अलावा, क्षेत्र के कई कलाकारों द्वारा मधुबनी कला का उपयोग आजीविका के साधन के रूप में भी किया जाता है, जिससे उन्हें अपनी प्रतिभा दिखाने और अपनी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने का अवसर मिलता है।
कुल मिलाकर, मधुबनी कला भारतीय संस्कृति और विरासत का एक महत्वपूर्ण पहलू है, और यह दुनिया भर के कलाकारों को प्रेरित और प्रभावित करती रही।
मौके पर 18 वीं वाहिनी एस एस बी के अमित कुमार कुशवाहा उप कमांडेन्ट, अर्राहा कम्पनी के कंपनी कमांडर निरीक्षक रविंद्र सिंह, भोगेंद्र सिंह कुशवाहा, अजय कुशवाहा, दिलीप कुमार सिंह, कैलाश कुमार, लाल बिहारी मंडल मुखिया बेलही पश्चिमी पंचायत समेत सैकड़ों ग्रामीण उपस्थित थे।