महागठबंधन कार्यकर्ताओं को विश्वास, चुनाव बाद(परिणाम चाहे जो हो) आरएसएस के सुमन का भाजपा में जाना लगभग तय
झंझारपुर लोक सभा /राजद का मजबूत सीट रहा झंझारपुर से इस बार ‘उधारी’ का उम्मीदवार पड़ रहा भारी, आरएसएस के सक्रिय स्वयंसेवक की निष्ठा पर नहीं हो रहा महागठबंधन कार्यकर्ताओं को विश्वास। चुनाव बाद(परिणाम चाहे जो हो) आरएसएस के सुमन का भाजपा में जाना लगभग तय।
राजद कार्यकर्ताओं में नहीं दिख रहा कोई उत्साह, गुलाब यादव पड़ सकते हैं सुमन महासेठ पर भारी। सुमन महासेठ की नहीं है कोई राजनीतिक ‘औकात’। बद्री पूर्वे जैसा हो सकता है इसका हाल।
2019 में मधुबनी लोकसभा क्षेत्र से महागठबंधन के वीआईपी से उम्मीदवार बद्री की हुई थी शर्मनाक हार, साढ़े चार लाख से अधिक वोटों से रिकॉर्ड जीत प्राप्त किए थे, भाजपा उम्मीदवार डॉ. अशोक कुमार यादव।
‘यादव’ विरोधी के साथ ही ‘मुसलमान’ विरोधी छवि के कारण सुमन महासेठ चुनावी रेस से बाहर दिखाई देने लगे हैं। यादवों का समर्थन बसपा प्रत्याशी गुलाब यादव के प्रति है, वहीं मुसलमान कंफ्यूज है और ऊहापोह की स्थिति में है कि आरएसएस स्वयंसेवक सुमन महासेठ को वोट करें या गुलाब यादव को। सुमन महासेठ को सूड़ी जाति का भी वोट नहीं मिलेगा क्योंकि बनिया समाज भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी का घनघोर समर्थक है,
वैसे भी सूड़ी जाति का कोई विशेष वोट है नहीं। सबसे बड़ी बात कि हरा गमछा डालकर राजद कार्यकर्ताओं के बीच समर्थन मांगने जाने वाले सुमन महासेठ ने आरएसएस से अभी तक सम्बन्ध नहीं तोड़ा है, सबसे अधिक मजेदार बात तब होगा जब राजद और महागठबंधन के कार्यकर्ता मुसलमानों के बीच जाकर आरएसएस के सुमन महासेठ को वोट देने की बात कहीं हैं और मुसलमान आरएसएस के सुमन महासेठ को वोट करेंगे या नहीं ।