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बिहार में शिक्षा व्यवस्था के सुधार के प्रति सरकार गंभीर नहीं है :एजाज अहमद

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News desk

बिहार प्रदेश राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा कि बिहार में शिक्षा व्यवस्था के स्तर की पोल नेशनल अचीवमेंट सर्वे रिपोर्ट 2021 में पूरी तरह से खुलकर सामने आ गई है। जहां सर्वे रिपोर्ट ने बिहार में शिक्षा व्यवस्था के गिरते स्तर को आंकड़ो के माध्यम से स्पष्ट किया है, वहीं दूसरी ओर बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार के सामने उन्हीं के गृह जिला नालंदा के सोनू ने भी जमीनी हकीकत से ना सिर्फ मुख्यमंत्री को बल्कि शिक्षा के प्रति किस तरह का सरकार के स्तर से गिरावट देखी जा रही है उसका सचित्र विवरण लोगों के सामने रखा। लेकिन अब तक सरकार इस दिशा में गंभीर नहीं दिख रही है।
इन्होंने ने कहा कि अफसोस की बात है कि सारे जमीनी हकीकत से रूबरू होते हुए भी बिहार सरकार ने इस दिशा में सुधार के लिए कोई कार्रवाई नहीं की और ना ही उन लोगों के द्वारा कोई प्रयास या सार्थक पहल की गई जो सोनू के साथ मदद के नाम पर फोटोशूट कराते रहे और मीडिया उनके बयानों के सहारे टीआरपी लेती रही । सोनू हर जगह छाया रहा,लेकिन जिस मुद्दे को उठाया वह मुद्दा ही गौण हो गया, साथ ही शिक्षा व्यवस्था के वर्तमान हालात तथा खस्ताहाल स्थिति में सुधार कैसे हो इस पर कोई चर्चा नहीं की जा रही है ,जहां नेशनल अचीवमेंट सर्वे रिपोर्ट के अनुसार बिहार में 05वीं क्लास के 83% बच्चे और आठवीं क्लास के 88% बच्चे शिक्षकों की बातें ही समझ नहीं पा रहे हैं और ना ही शिक्षक इन बच्चों को शिक्षा के प्रति जागरूक कर पाए रहे हैं बच्चों को पढ़ाने की दिशा में गंभीरता ही दिखा रहे हैं ,अफसोस तो इस बात का है कि जहां सरकार की ओर से शिक्षकों को अन्य कामों में लगा दिया जाता है और उन्हें पढ़ाने की जगह दूसरे कामों का ओवरलोड दे दिया जाता है जिसके कारण परेशानी में ही शिक्षक हमेशा रहते हैं, साथ ही साथ मिडडे मील और अन्य कार्यो के कारण शिक्षकों के द्वारा पढ़ाने के प्रति रूचि कम होती जा रही है। साथ ही साथ सरकारी स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं की कमी भी विद्यार्थियों और शिक्षकों के बीच पढाने के प्रति रुचि कम देखी जा रही है।
एजाज ने आगे कहा कि राज्य सरकार अविलंब शिक्षा के स्तर में सुधार के लिए शिक्षकों से पढ़ाई के अलावा दूसरे काम लेने पर रोक लगाएं, उन्हें मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराएं और समय-समय पर शिक्षकों और छात्रों के बीच पढ़ाई के स्तर को जांच के लिए प्राइवेट स्कूलों की तरह पेरेंट्स टीचर मीटिंग की भी व्यवस्था करवाएं जिससे कि कमियों को अभिभावकों के माध्यम से जो शिक्षा समिति बने उसे अवगत कराया जा सके। और शिक्षा समिति सरकार तक विभिन्न माध्यमों से अपनी बातों को पहुंचा कर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के प्रति सरकार से विचार को साझा करें इन्होंने मीडिया तथा नेताओं से सोनू की मदद की जगह शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए गंभीरता दिखाने की अपील की है, क्योंकि सोनू ने जिस शिक्षा व्यवस्था के गिरते स्तर पर आंखें खोलने वाली बातें की है उसके लिए सरकार और सभी स्तर से गंभीरता दिखनी चाहिए तभी बिहार में शिक्षा व्यवस्था और खास तौर से बुनियादी शिक्षा को मजबूती किया जा सकता है ।