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भगवान श्रीराम व जगतजननी मां सीता की स्मृति से जुड़ी विश्वविख्यात 84 कोसी मिथिला मध्यमा परिक्रमा शुरू

बिहार हलचल न्यूज ,जन जन की आवाज
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रिपोर्ट सुरेश कुमार गुप्ता

मधुबनी /कुल 166 किलोमीटर लंबी दूरी तय करने के साथ ही भारत में 4 व नेपाल में 11 सहित कुल 15 पड़ाव स्थल पर विश्राम करेंगे ।श्रद्धालु व साधु-संत 166 किलोमीटर लंबी दूरी तय करने के लिए 84 कोसी विश्वविख्यात मिथिला मध्यमा परिक्रमा की यात्रा भगवान श्रीराम व जगतजननी मां जानकी के भक्तों की उपस्थिति में सियाराम-सियाराम के जय घोष के बीच भगवान राम के डोला को परिक्रमा के लिए विदा किया गया। नेपाल के कचुरी मंदिर प्रांगण से भगवान के डोले को विदा करने से पूर्व मंदिर परिसर में कलश शोभा यात्रा भी निकाली गई।
IMG 20220304 WA0041 भगवान श्रीराम व जगतजननी मां सीता की स्मृति से जुड़ी विश्वविख्यात 84 कोसी मिथिला मध्यमा परिक्रमा शुरूजैसे-जैसे डोला आगे बढ़ता गया वैसे-वैसे श्रद्धालुओं, साधु-संतों व भक्तों की तादाद बढ़ती गयी। देर शाम जानकी मंदिर पहुंचने पर डोला का मंदिर के महंत सहित अन्य सदस्यों ने भव्य स्वागत के साथ-साथ विदाई भी दी। उसके बाद जनकपुर के अंतिम छोर पर हनुमानगढ़ी में भगवान के डोला का रात्रि विश्राम हुआ। दूसरी ओर अग्निकुंड मंदिर से किशोरी जी का डोला जनकपुर धाम के रंगभूमि मैदान पहुंचा जहां महिलाओं ने किशोरी जी की पूजा अर्चना की। रंग मैदान से किशोरी जी व भगवान का डोला एक साथ 84 कोसी परिक्रमा के लिए निकलेगा व इस यात्रा का दूसरा पड़ाव भारत के कल्याणेश्वर महादेव स्थान में आज होगा।
परिक्रमा यात्रा के महत्ता पर प्रकाश डालते हुए जानकी मंदिर के छोटे महंत रोशनदास वैष्णव ने बताया कि यह प्रथा रामायण काल से चली आ रही है। और परिक्रमा के सभी 15 विश्राम स्थलों का महात्म्य भगवान राम व आदिशक्ति मां सीता से जुड़ा हुआ है। इस यात्रा में बनारस, उज्जैन, प्रयागराज, गुजरात, तमिलनाडु, केरल सहित देश के सभी भागों से साधु-संत पहुंचे हैं। संतों ने कहा कि मनुष्य जीवन में एक बार भी यह 15 दिवसीय यात्रा पूरी कर लेने से मिथिलाधाम के आसपास 15 देव स्थलों का दर्शन तो होता ही है साथ ही मोक्ष की प्राप्ति होने की भी मान्यता है।