जनता को ऐसे सत्ता के लालची नेताओं को सिखाना चाहिए कड़ा सबक
उप संपादक सुनीता कुमारी
जैसे ही देश के किसी राज्य में चुनावों की घोषणा होती है वैसे ही नेताओं का दल बदलने का सिलसिला शुरू हो जाता है। अचानक ही नेताओं को अपनी मौजूदा पार्टी में कमियां नजर आने लगती हैं और अपने चुनाव क्षेत्र की भलाई के नाम पर नेता दल बदलने लगते हैं।
क्या पता यह दलबदलू नेता दोबारा जितने पर उसी दल में वापसी करके सत्ता का सुख भोगने लगे इन दलबदलू नेताओ का कुछ नही कहा जा सकता।अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश में पांच साल तक मलाई काटने और मंत्री पद का सुख भोगने के बाद स्वामी प्रसाद मौर्य को लगा कि व गलत दल में हैं और इसलिए उन्होंने भाजपा छोड़ दी।अब व समाजवादी पार्टी का उद्धार करेंगे। ऐसे लोगों के कोई सिद्धांत नहीं होते न ही उनका किसी भी पार्टी से भावनात्मक लगाव होता है। सिर्फ सत्तासुख भोगना चाहते हैं।ऐसे दल बदलुओं का कोई दीन ईमान नहीं होता जनता को ऐसे सत्ता के लालची नेताओं को कड़ा सबक सिखाना चाहिए।