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बेकार पड़ी है लदनियां प्रखंड में करोड़ों की सिंचाई योजनाएं

बिहार हलचल न्यूज ,जन जन की आवाज
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लदनियां से अमरनाथ यादव की रिपोर्ट

मधुबनी/लदनियां प्रखंड क्षेत्र में करोड़ों की लागत से स्थापित सिंचाई योजननाएं बेकार हो चुकी हैं। इन योजनाओं में 1980 के दसक में हुए ग्रामीण विद्युतीकरण के बाद त्रिशूला नदी के किनारे लगी लिफ्ट सिंचाई योजनाएं, पंचायतों में लगे स्टेट बोरिंग व दो नदियों पर बने बाराज शामिल हैं। इन सबके बंद होने का कारण चोरों के द्वारा ट्रांसफार्मर व पोल के तार की तस्करी थी। 2000 ई. के बाद पुनः ग्रामीण क्षेत्रों का विद्युतीकरण प्रारंभ हुआ, लेकिन बिजली संचालित इन लिफ्ट व स्टेट बोरिंगों को चालू नहीं किया जा सका। बंद पड़े 14 स्टेट बोरिंगों में दो पानी दे रहा है, शेष 12 बोरिंग वर्षों से बंद पड़े हैं।

सरकार ने इन लाभकारी योजनाओं को चालू करने के लिए संबंधित मुखियों को चालू कराने की जवाबदेही दो वर्ष पूर्व दी थी। लेकिन इन बंद पड़े स्टेट बोरिंगों को चालू नहीं किया जा सका है।

त्रिशूला व मुनहरा नदी पर बने बाराज की नहर की खुदाई के नाम पर पानी की तरह पैसा बहाया गया, लेकिन अव्यवस्थित इन नहरों में किसानों की जरूरत के हिसाब से पानी नहीं आ सका। बाराज निर्माण में बरती गई तकनीकी गड़बड़ी के कारण नहर की जगह मूल नदी में पानी बह जाता है।

कृषि क्षेत्र में मानक उपभोक्ता के बाद भी बधारों में बिजली नहीं पहुंची है। लोग डीजल संचालित निजी बोरिंग पम्पसेट से सिंचाई करते आ रहे हैं। मंहगे खाद-बीज, सिंचाई, निकौनी, कीटनाशी स्प्रे के कारण किसानों की खेती घाटे में चल रही है। किसानों की माली हालत चिंताजनक बनी हुई है। यही कारण है कि किसानों की रुचि खेती से घटती जा रही है।