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खनन माफियाओं को क्या मिलता राजनीतिक संरक्षण

बिहार हलचल न्यूज ,जन जन की आवाज
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न्यूज़ डेस्क

देश के कई राज्यों में सक्रिय बेखौफ पत्थर और रेत माफिया का गैरकानूनी कारोबार जिस तेजी से बढ़ता जा रहा है । वह बेहद गंभीर बात है।कई राज्यों में खनन माफिया सक्रिय हैं। विगत दिन को भी गुजरात के आणंद जिले और झारखंड में रांची के पास जांच के लिए वाहन रोकने पर दो पुलिसकर्मियों को कुचल दिया गया।
हरियाणा के नूंह जिले में भी एक पुलिस उपाधीक्षक को मार कर खनन माफिया ने फिर यह दर्शाया है। कि उसे किसी से खौफ नहीं है। इन घटनाओ ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा किया है । कि आखिर हमारी सरकारें खनन माफिया के खिलाफ अभियान चलाने में इतनी बेबस क्यों बनी हुई हैं। खनन माफिया पर कार्रवाई का जिम्मा स्थानीय पुलिस और प्रशासन का मामला है! ऐसे में अगर राज्यों में खनन माफिया बेलगाम है।

Add 1 खनन माफियाओं को क्या मिलता राजनीतिक संरक्षण तो इसका मतलब है कि राज्य सरकारें इन पर शिकंजा कस पाने में लाचार हो चुकी हैं।ऐसा भी नहीं कि पुलिस माफिया से जुड़े लोगों पर कार्रवाई नहीं करती जब भी पुलिस को सूचना मिलती है। वह अपना दल बल लेकर कार्रवाई करने पहुंचती तो है। पर माफिया का सूचना तंत्र इतना मजबूत है कि वह पुलिस के आने से पहले बच निकलता है।जबकि राज्य सरकारों के पास पुलिस बल की कोई कमी नहीं होती सशस्त्र बल भी उनके पास होता है जरूरत पड़ने पर व केंद्रीय बलों की मदद भी मदद ले सकती हैं। इतना सब होने पर भी अगर अवैध खनन से जुड़े बड़े लोग कानून की पहुंच से बाहर बने रहते हैं तो यह संदेह पैदा करता है। ऐसे में यदि खनन माफिया को राजनीतिक संरक्षण के आरोप लगते रहे हैं तो गलत क्या है।