आम आदमी पार्टी सरकार जल्द ही पंजाब स्टेट विजिलेंस कमीशन यानि पंजाब राज्य सतर्कता आयोग को समाप्त करने की तैयारी में
पंजाब / हाई लेवल सूत्रों से पता चला है कि आम आदमी पार्टी सरकार जल्द ही पंजाब स्टेट विजिलेंस कमीशन यानि पंजाब राज्य सतर्कता आयोग को समाप्त करने की तैयारी में है। सूत्रों के अनुसार चूंकि कमीशन भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों में अपने दो साल के पुनर्गठन के बाद प्रभावी तौर से काम नहीं कर पाया, इसलिए इसे समाप्त करने की दिशा में काम किया जा रहा है। पंजाब की आम आदमी पार्टी ने चूंकि भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई है| लिहाजा इस दिशा में काम किया जा रहा है। न केवल सरकार ने अपने ही पूर्व स्वास्थ्य मंत्री को भ्रष्टाचार में लिप्त पाये जाने पर गिरफतार कर लिया| वहीं कई आला अफसरों के खिलाफ भी जोरदार कार्रवाई की है। सरकार सीधे तौर पर भ्रष्टाचार पर नकेल कसने में सख्ती का मैसेज देना चाहती है।
वर्ष 2007 में अकाली-भाजपा सरकार ने इसको समाप्त कर दिया था हालांकि तब कांग्रेस ने इसे समाप्त करने का जबरदस्त विरोध किया था। अब अकाली-भाजपा सरकार की तर्ज पर ही मुख्यमंत्री भगवंत मान की अगुवाई में चल रही आम आदमी पार्टी की सरकार भी इस कमीशन को समाप्त कर सकती है। सूत्रों के अनुसार सरकार तक यह संदेश पहुंचा है कि कमीशन ने भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की दिशा में कोई विशेष काम नहीं किया। उल्टा कांग्रेस राज में भ्रष्टाचार के तमाम रिकार्ड टूट गए। न केवल कांग्रेस सरकार में मंत्री बल्कि अफसर भी सरकारी पैसा बटोरने में लगे रहे।
सत्ता में कांग्रेस सरकार के आते ही पंजाब राज्य सतर्कता आयोग अध्यादेश, 2020 के अनुसार, स्वच्छ, निष्पक्ष और पारदर्शी प्रशासन प्रदान करने के लिए, सतर्कता ब्यूरो और सरकार के सभी विभागों के कामकाज पर अधिक प्रभावी निरीक्षण करने के लिए आयोग को एक स्वतंत्र निकाय के रूप में स्थापित करने का फैसला हुआ था। इसमें दो सदस्यों वाला एक अध्यक्ष व दो मेंबर बनाये गए थे जिनका कार्यकाल पांच साल का होता है। इसका गठन तब हुआ था जब कांग्रेस सरकार के पास महज एक साल और तीन महीने बचे थे।
पंजाब राज्य सतर्कता आयोग विजिलेंस ब्यूरो द्वारा की गई जांच की प्रगति और सरकार के विभिन्न विभागों के पास लंबित अभियोजन स्वीकृति के मामलों की समीक्षा करता है। सतर्कता आयोग सरकार के विभिन्न विभागों और सतर्कता मामलों पर अन्य जांचों की बाबत सलाह भी देता है। इसे व केवल सतर्कता ब्यूरो को निर्देश देने बल्कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और लोक सेवकों के खिलाफ अन्य संबंधित अपराधों के तहत लगाए गए आरोपों के संबंध में पूछताछ करने या जांच करने का भी अधिकार है।
आयोग में अध्यक्ष के रूप में राज्य के मुख्य सतर्कता आयुक्त रहते हैं। उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में या भारत सरकार के सचिव के रैंक और वेतनमान में एक अधिकारी के रूप में कार्यरत व्यक्ति को यह जिम्मेदारी सौंपी जाती है। सतर्कता से संबंधित मामलों में विशेषज्ञता और अनुभव रखते हों या नीति निर्माण, प्रशासन (पुलिस प्रशासन सहित), वित्त (बीमा और बैंकिंग कानून सहित) भारत सरकार के अतिरिक्त सचिव या राज्य के वित्तीय आयुक्त के पद और वेतनमान के बराबर पद पर हों। दोनों सतर्कता आयुक्त एक ही सेवा से संबंधित नहीं होंगे या उनके पास बिल्कुल समान अनुभव नहीं होगा, यह शर्त रहती है। ये नियुक्तियां मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली एक समिति की सिफारिशों पर की जाती है जिसमें पंजाब विधानसभा अध्यक्ष और मंत्रिपरिषद के सबसे वरिष्ठ मंत्री (सीएम के बाद) सदस्य होते हैं।