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आज हैं नाग पंचमी शुभ मुहूर्त ,पूजन विधि, महत्व और उपाय

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प्रदीप कुमार नायक

हमारे मिथिला के हिन्दू संस्कृति में सभी लोगों के साथ आत्मीय संबंध जोड़ने का प्रयत्न युग -युग से किया गया है।इस कारण हमारे यहां नाग पूजा का भी विधान है।नाग पंचमी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है।हिन्दू पंचांग के अनुसार सावन माह की शुक्ल पक्ष के पंचमी को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है।इस साल नाग पंचमी का पर्व 21 अगस्त सोमवार को मनाया जाएगा। सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है,ऐसे में नाग पंचमी के पर्व का महत्व बढ़ गया है।इस दिन नागदेवता और महादेव की पूजा का महत्व है। बजरंग बली चौक के पुजारी प्रहलाद पांडेय ने बताया कि इस वर्ष सावन शुक्ल पंचमी तिथि 21 अगस्त को रात 12 बजकर 21 मिनट से शुरू होगी और इसका समापन 22 अगस्त 2023 को दोपहर 2 बजे होगा।ऐसे में नाग पंचमी 21 अगस्त को ही मनाई जाएगी।इस साल नागपंचमी का शुभ मुहूर्त 21 जून को सुबह 05 बजकर 53 मिनट से सुबह 08 बजकर 29 मिनट तक रहेगा।हिंदू धर्म में सदियों से नागों को पूजने की परंपरा चली आ रही है।ऐसी मान्यता है कि नाग पंचमी के दिन नाग देवता को दूध अर्पित करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है। नाग पंचमी के दिन अनंत, वासुकि,पद्म,महापद्म,तक्षक, कुलीर,कर्कट,शंख,कालिया और पिंगल नामक देव नागों की पूजा की जाती है।इस दिन शिवलिंग पर जल,दूध,दही,शहद,चीनी चढ़ाएं।इस बात का ध्यान रखें कि जल पीतल के लोटे से ही अर्पित करें।नागपंचमी पूजन के लिए घर के दरवाजे के दोनों तरफ नाग की आकृति बनाकर घी,दूध और जल से तर्पण करें।इसके साथ ही दीप, धूप,माला,फूल आदि से विधिवत पूजा करें।इसके बाद गेहूं,दूध, धान के लावा आदि का भोग लगाएं।नाग पंजमी पूजन से कुलों तक सर्प दोष से मुक्ति मिलती है।
धार्मिक मान्यतानुसार इस दिन नाग देवता को दूध अर्पित किया जाता है।
माना जाता है कि इस दिन ऐसा करने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।जिससे कालसर्प जैसे दोषों से भी मुक्ति मिलने की मान्यता है।इसलिए हिंदू धर्म में नाग को पूजनीय माना जाता है।कहा जाता है कि नाग देवता प्रत्येक देवी-देवता के विराट रूप में कहीं ना कहीं मौजूद हैं।भगवान शिव अपने गले में नाग का हार धारण किए हुए हैं।गणेश जी का जनेऊ के रूप में नाग को धारण किए हुए हैं,वहीं भगवान विष्णु नाग की शैय्या पर ही विश्राम करते हैं।इसके अलावा समुद्र मंथन के समय नाग देवता की भी अहम भूमिका थी। दरअसल मान्यता है कि नाग देवता के फन पर ही धरती टिकी हुई है।वैसे श्रावण कृष्ण पक्ष पंचमी को ही लोग नाग पंचमी का त्यौहार मनाकर धान रोपण का कार्य आरंभ करते हैं।शुक्ल पक्ष पंचमी को पूजा होती ही नहीं।