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ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो संजय कुमार चौधरी ने कार्यलायी व्यवस्था को चुस्त दुरुस्त करने की पहल तेज़

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ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो संजय कुमार चौधरी ने कार्यलायी व्यवस्था को चुस्त- दुरुस्त करने की पहल तेज़ कर दी गयी है। कार्यलायी अभिलेख एवं संचिकाओं की गोपनीयता व संरक्षण बनाये रखने की हिदायत देते हुए पदाधिकारियों द्वारा अंतर विभागीय कर्मचारियों को मौखिक आदेश से बुलाने तथा संचिका की स्थिति जानने के लिए कुलपति के आदेश को आवश्यक बताया है। इस आदेश का अनुपालन नहीं होने पर विश्वविद्यालय अधिनियम के प्रावधानों के तहत कार्यवाई के निर्देश दिये गए हैं।

कुलपति के आदेश के आलोक में कुलसचिव ने शनिवार को कार्यालय आदेश जारी कर कहा है कि पार्ट फ़ाईल खोलने के लिए कुलपति की पूर्वानुमति आवश्यक है। पार्ट फ़ाईल यदि पहले से खोला गया है तो मूल संचिका में संलग्न करते हुए इसकी सूची कुलपति कार्यालय में अनिवार्य रूप से समर्पित की जाए। वहीं दूसरे कार्यालय आदेश में कहा गया है कि बिहार राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम 1976 की धारा 15(2) (a) के अनुसार कुलसचिव सभी अभिलेखों के संरक्षक होते हैं। हाल ही में, यह पाया गया है कि विश्वविद्यालय के आधिकारिक अभिलेख अक्सर सार्वजनिक कार्यक्षेत्र में सामने आते रहे हैं जो गंभीर मामला है। यह अभिलेख की निजता और गोपनीयता की रक्षा करने की आधिकारिक नैतिकता के विरुद्ध है। कार्यालयी गोपनीयता की उचित सुरक्षा सुनिश्चित करने और ऐसी किसी भी अप्रिय घटना की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए विश्वविद्यालय के सभी पदाधिकारियों और कर्मचारियों को निदेशित किया गया है कि अब से कोई भी पदाधिकारी कुलपति से पूर्वानुमति प्राप्त किए बिना अन्य कार्यालय से संचिका या कोई दस्तावेज़ नहीं मांगेंगे। इसके लिए उनका लिखित अनुरोध आवश्यक है, साथ ही कोई भी पदाधिकारी अपने विभाग के कर्मियों को छोड़कर अन्य विभाग के कर्मचारियों को मौखिक रूप से नहीं बुलाएँगे, और न ही किसी भी फ़ाईल की स्थिति जानने के लिए अनुचित दबाव डालेंगे। अतिआवश्यक हो तो पदाधिकारी कुलपति से पूर्व अनुमोदन लिखित रूप में प्राप्त करेंगे। इस संबंध में मौखिक आदेशों का संज्ञान कदाचार के साथ- साथ जानबूझ कर अवज्ञा मानी जाएगी।