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एक और दुर्घटना ” में कलाकारों ने दर्शाया सत्ता और प्रशासन की गैर जिम्मेदाराना हरकत

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पटना / त्रिवेणी नाट्य महोत्सव के दूसरे दिन प्रेरणा ( जनवादी सांस्कृतिक मोर्चा ) द्वारा कालिदास रंगालय में “ एक और दुर्घटना ” की नाट्य प्रस्तुति हुई। “ एक और दुर्घटना ” डारियो फो के नाटक एन एक्सीडेंटल डेथ ऑफ एन एनारकिस्ट का हिंदी रूपांतरण है। यह नाटक पुलिस हिरासत में एक ट्रेड यूनियन नौजवान कार्यकर्ता की मौत के इर्द-गिर्द घूमती है। रेलवे मजदूर के आंदोलन के क्रम में बम -विस्फोट की घटना होती है और उस घटना के आरोप में एक नौजवान रेलवे कर्मचारी को पुलिस गिरफ्तार कर लेती है और हिरासत में रखती है।

पुलिस हिरासत में हीं उस नौजवान की मौत हो जाती है जिसे पुलिस आत्महत्या साबित कर देती है। डारियो फो इस नाटक के जरिये सत्ता की निरंकुशता एवं प्रशासन की गैर जिम्मेदाराना हरकत को सामने लाते हैं। नाटक अपने कथा शिल्प के द्वारा पुलिस की उस घिनौनी हरकत को उजागर करता है। एक नौजवान की पुलिस हिरासत में हुई मौत को आत्महत्या में तब्दील कर देने की साजिश के माध्यम से नाटक जनता के बुनियादी सवालों पर संघर्षरत कार्यकर्ताओं पर सत्ता द्वारा होने वाले बर्बर अमानवीय और गैर – संवैधानिक दमन के खिलाफ संगठित प्रतिरोध की अपील करता है। नाटक के मुख्य पात्र सनकी का संवाद – ‘ लोग सच्चाई जानना चाहते है, आप उन्हें एक स्कैंडल थमा देते हैं । लोग खाना, कपड़ा और नौकरी चाहते हैं, सरकार उन्हें नया स्लोगन थमा देती है। हिंदुस्तान को आजाद हुए 75 साल हो गए हैं। लोगों ने आजादी से क्या उम्मीदें लगा रखी थी। तब से आज तक उन्हें क्या मिला है, सिर्फ बढ़ी हुई कीमतें और झूठे वायदे ‘….. समकालीन राजनीतिक परिदृश्य की सटीक व्याख्या कर देती है। त्रिवेणी महोत्सव के दूसरे दिन के कार्यक्रम के शुरुआत में नाद संस्था के कलाकारों द्वारा ” जनता गिरी ” नुक्कड़ नाटक व ओम प्रकाश, राधा सिन्हा एवं उदय कुमार सिंह के द्वारा लोक नृत्य की प्रस्तुति दी गई।
मंच पर मौजूद कलाकारों में राकेश रंजन, शिवम कुमार, अक्षय कुमार यादव, चंदन कुमार, राहुल कुमार, भूमिका भारद्वाज। निर्देशन और मंच परिकल्पना राकेश रंजन का। अभिनेताओं ने अपनी अभिनय प्रतिमा से नाटक की कथावस्तु को आसानी और रोचक ढंग से दर्शकों तक पहुंचाने में सफल रहे तो नाटककार डरियो फो के अभिनय शिल्प अलगाववाद की तकनीक भी कलाकारों के अभिनय में उमड़ा। कथा के अनुरूप सरल , सहज और सप्रेषणीय संगीत, मंच सज्जा और वेशभूषा का प्रयोग किया गया। संगीत संयोजन आदर्श राज प्यासा ने किया और प्रकाश संचालन जीशान फजल ने किया।