संस्कृति

विषय से मन को मुक्त कर लेना ही मुक्ति है : त्रिपुरारी मिश्रा

बिहार हलचल न्यूज ,जन जन की आवाज
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लदनियां से अमरनाथ यादव की रिपोर्ट

मधुबनीक/लदनियां प्रखंड /समर्पण से भक्ति और वैराग्य भाव से उत्पन्न भक्ति से मुक्ति मिलती है।
दु:ख व सुख से परे हो जाना ही मुक्ति है। विषय वासना ही दोनों का कारण है। ये दोनों आत्मा के मूलभूत गुण नहीं हैं। इसलिए मोक्ष की स्थिति में आत्मा दोनों से मुक्त हो जाती है। दु:ख से मुक्ति पाने के पहले हमें सुख की आशा ही छोड़ देनी चाहिए। विषय में लीन व्यक्ति जिसे सुख समझते हैं वही दुःख का कारण होता है।
उक्त बातें प्रखंड के खाजेडीह स्थित ब्रह्म स्थान में आयोजित साप्ताहिक भागवत महापुराण कथा प्रवचन के आचार्य त्रिपुरारी मिश्रा ने कार्यक्रम के प्रथम दिन श्रद्धालु श्रोताओं को भक्ति व वैराग्य विषय की जानकारी देते हुए कहीं। उन्होंने कहा कि प्रेम और श्रद्धा का समन्वित रूप ही भक्ति है, जो समर्पण से प्राप्त होती है।
मौके पर रामप्रसाद कामत, वंशी चौधरी, दुःखी कामत, यदुनंदन कामत, शंभू नाथ झा, किशोरी कामत, रामबाबू महतो, शंकर यादव, देवकांत कामत, शिक्षक रंजीत यादव, प्रो. गौरीशंकर कामत, चन्द्र दीप कामत, दिलीप चौधरी, वैद्यनाथ चौधरी, दयानंद झा, राम एकबाल चौधरी समेत सैकड़ों लोग थे।