संस्कृति

भक्ति भाव का महीना सावन

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    प्रदीप कुमार नायक

भक्ति और भरोसा भगवान पर इतना करें कि संकट हमपर हो और चिंता भगवान की हो।हमे सदा परिस्थिति का सदुपयोग करना चाहिए। मनुष्य जीवन मे प्रारब्ध के अनुसार जो सुभ और अशुभ परिस्थिति आती है उसे मनुष्य अपने कर्मोका फल मान लेता है जोकि मूर्खता है।कारण परिस्थिति बाहर से बनती है और सुखी-दुखी होता है वह स्वयं।अगर मनुष्य उस परिस्थिति का तदात्म्य न करके उसका सदुपयोग करें तो वही परीस्थिति उसका उद्धार करनेके लिए साधन-सामग्री बन जायेगी।सुखदायी परिस्थिति का सदुपयोग है-दूसरों की सेवा करना, और दुखदायी परिस्थिति है सुखभोग की इच्छा का त्याग करना ।
दुखदायी परिस्थिति आनेपर घबराये नही उसपर बिचार करिये कि हमने पहले सुखभोग की इच्छा से ही पाप किये थे वे पाप ही दुखदायी परिस्थिति होकर नष्ट हो रहे है।
गीता के दूसरे अध्याय के 47वें श्लोक में भगवान अर्जुन से कहते हैः-
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन ।
         मा कर्मफल हेतुर्भुर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि ॥
अर्थातः- तेरा कर्म करने में ही अधिकार है, उसके फलों में कभी नहीं। इसलिए तू फल की दृष्टि से कर्म मत कर और न ही ऐसा सोच की फल की आशा के बिना कर्म क्यों करूं।
सावन का महीना भगवान भोलेनाथ की भक्ति का महीना माना जाता है। शिव के प्रिय महीने सावन का इंतजार उनके भक्तों को सबसे ज्यादा रहता है। यह महीना महादेव को समर्पित है। प्रकृति भी इस मौसम में बहुत खुश रहती है।
मान्यता है कि सावन में अगर किसी को भगवान भोलेनाथ का आशीर्वाद मिल जाए तो उसकी मनोकामना पूरी हो जाती है। इसी महीने में भक्तों की कांवड़ यात्रा भी शुरु हो जाती है। जिसमें शिव-शंभू के भक्त हाथों में कांवड़ लिए, भगवा वस्त्र पहन कर, हर-हर महादेव और बम भोले के उद्घोष के साथ पैदल हरिद्वार से गंगाजल लाने के लिए निकल पड़ते हैं।
हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन महीना इस बार पूरे 2 महीने तक चलेगा और शिव भक्त 2 महीने तक भगवान शिव की अराधना करेंगे। यह सावन 4 जुलाई 2023, मंगलवार से शुरू होगा और 31 अगस्त 2023, गुरुवार को समाप्त होगा।