बिहार विधानमंडल के नये स्पीकर की शांतिपूर्ण ढंग से चलाने की अग्नि परीक्षा
पटना / बिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र वेहतर साकारात्मक अंदाज में शुरू हुआ जो विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी एवं विधानपरिषद के सभापति देवेश चंद ठाकुर की समना पहली बार हो रही है। जिससे स्पीकर एवं सभापति को अग्नि परीक्षा से गुजरना पारा।
क्योंकि इस बार सतारुढ दल की समना विरोधी दल भाजपा से हो रही है ।जहाँ सतारुढ दल में सात साल पाटी शामिल हैं शीतकालीन सत्र के विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बावजूद प्रश्न काल, शून्यकाल एवं ध्यानाकर्षण जैसे महत्वपूर्ण कामकाज हुआ। स्पीकर को सता पक्ष के सदस्यों ने खुलकर तारीफ किया वही विपक्षी सदस्यों ने दबे स्वरों में स्पीकर को मुख्यमंत्री के इशारे पर चलने वाला करार दिया ।
अवध बिहारी चौधरी जब से स्पीकर बने तब से अलग अलग दलों के नेताओं से वार्ता जारी रख रहे थे ।
साथ ही इन दिनों शीतकालीन सत्र के सदन की कार्यवाही में आय गतिरोध का कारण जानने की कोशिशें भी कर रहे थे और विपक्ष से कार्य स्थगन प्रस्ताव निधारित समय से उठाने की अपील भी की साथ ही सदन में विपक्ष के हर सवाल की जवाब देने को तैयार दिखते है, तो ऐसी परिस्थिति में हंगामा करने की सवाल नहीं बनती इसके लिए वे भोजनावकाश के समय सभी दलों के नेताओं से मुलाकात कर उचित समय देने का अहवान भी किया। लेकिन विपक्ष सदन में हंगामा छोड़ कुछ भी मानने को तैयार नहीं थे ।
विधानमंडल के मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने शीतकालीन सत्र के चौथे दिन भी कुछ सुनने को तैयार नहीं थे वे केवल सदन की कार्यवाही बाधित करना भर समझते थे।
महागठबंधन सरकार में पहली बार विपक्षी दल के नेता सदन के वेल में पहुँच शोर शराबे एवं हंगामा करते दिखे। जब स्पीकर ने शोर शराबे एवं हंगामे के बीच सदन को सुचारू रुप से चलाते रहे। इससे आक्रोशित विपक्ष के नेता विजय कुमार सिन्हा ने महिला सदस्यों को आगे कर रिपोर्टर टेबल को बाधित करने का इशारा करते दिखे। इसके बाद सदन में उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पर कुर्सियां लहराते दिखे।
क्या सदन में विपक्ष द्बारा आगे भी इसी तरह की हंगामेदार अशांति बनी रहेगी।
राजनीतिक विश्लेषक रंजय कुमार का मानना है कि विपक्षी सदस्य अभी इस मामले में आश्वस्त नहीं है यह काफी हद तक सामने आने वाले मुद्दो पर भी निभर करता है ।अगर शीतकालीन सत्र में देखा जाये तो विधानसभा स्पीकर अवध बिहारी चौधरी एवं विप के सभापति देवेश चंद्र ठाकुर का अग्निपरीक्षा होगी ।
जिससे वे सदन को सुचारू रुप शांतिपूर्ण ढंग से चलाये दोनों स्पीकर एवं सभापति में संसदीय अनुभव, ज्ञान कौशल, प्रसाशनिक दक्षता एवं तजुरबा होते हुए विपक्षी सदस्यों को दलों के दिल जीत नहीं सके।इसके लिए सभी दलों के नेताओं के भावनाओं को समझते हुए सदन में समुचित समय देते हुए ,सता पक्ष एवं विपक्षी सदस्यों को दिल जीतने की कोशिश करनी होगी तभी सदन में स्वस्थ परम्परा का निर्वहन हो सकेगा।