बेरोजगार तो वह व्यक्ति रह जाता हैं जिसके पास डिग्रियां तो हैं पर काम नही
हमारे देश में बेरोजगारी एक ऐसा विषय है, जो सालों से हर राजनीतिक दल के चुनावी मुद्दों की सूची में शामिल रहता है।मगर चुनाव जीतते ही इसे हवा में उड़ा दिया जाता है।पर सही मायनों में देखा जाए तो बेरोजगारी के कसूरवार सिर्फ राजनीतिक दल नहीं हो सकते हम भी हैं, जो विश्वास में आ जाते हैं और बाद में ठगा सा महसूस करते हैं! आज के युवाओं में हुनर और प्रतिभा पर विश्वास की कमी दिखाई देती है।रोजगार के क्षेत्र में बढ़ती प्रतिस्पर्धा से उन्हें अपने चुने गए विषय और मेहनत पर संशय होने लगता है।कम पढ़े लिखे युवा कहीं भी रोजगार की तलाश कर काम करने लगते हैं! बेरोजगार तो वह व्यक्ति रह जाता है जिसके पास डिग्रियां तो हैं।पर अपने कौशल पर विश्वास नहीं!सरकार ने कौशल विकास के लिए योजनाएं बनाई! पर इनका परिणाम कोई खास बदलाव नहीं ला पा रहा है।
इसलिए शिक्षा के क्षेत्र में कुछ ऐसे विशेष बदलाव लाने होंगे ,जिससे छात्रों को अपने कौशल और ज्ञान पर आत्मविश्वास बढ़े और बेरोजगारी से छुटकारा पा सकें।