सरकारी जमीन का 35 हजार 187 अबैध जमाबंदी का पकड़ाना भाकपा-माले आंदोलन की प्राथमिक जीत हैं : ध्रुब कर्ण
बिहार सरकार के भूमिसुधार व राजस्व बिभाग ने बिहार के आठ लाख एकड़ सरकारी जमीन पर अबैध कब्जा एवं उससे संबंधित दस लाख जमाबंदी पकड़ा है, जिसमें मधुबनी जिला में सरकारी जमीन के 35 हजार 187 अबैध जमाबंदी शामिल हैं।इस बिषय पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए भाकपा-माले के जिला सचिव सह बिहार राज्य कमिटी सदस्य ध्रुब नारायण कर्ण ने कहा कि बर्ष 2011 से ही भाकपा-माले ने जो “गरीब जगाओ-गरीब बसाओ ” आंदोलन का शुरुआत किया, उसका मूल आधार यही था कि जिला में हजारों हजार एकड़ सरकारी जमीन पर सामंतों, भूमाफियों व दबंगों ने अबैध कब्जा जमा रखा है। सरकारी जमीन की खरीद बिक्री तक हो रही है. जमीन का जलीया कागज तैयार कर सरकारी को निजी बनाया जा रहा हैं। इस मामले में तो अंचल कार्यालय में इस कदर भ्रष्टाचार फैला हुआ हैं कि सरकारी कर्मी और अधिकारी सरकारी जमीन को निजी जमीन बनाने में मस्त हैं. भूमाफियों के पालतू तक बन गए है। मठ मंदिर का भी जमीन जो सार्वजनिक है ।उसके भी अबैध केवाला को अबैध जमाबंदी कायम कर दे रहे हैं. दूसरी तरफ 60 प्रतिशत भूमिहिन हैं।जिसके पास बसने लायक उचित जमीन नहीं है ।घरारी नहीं है. जिस प्रशासन पर यह जवाबदेही हैं कि भूमिहीनों को 3 से 5 डिसमिल तक सरकारी बास भूमि दे.वह भूमिहीनों की जगह सामंतों, भूमाफियों को सरकारी जमीन देने का अपराध करता रहा है. इसी तरह के अन्याय के खिलाफ भूमिहीनों को बास भूमि दिलाने के लिए माले ने “गरीब जगाओ-गरीब बसाओ आंदोलन चला रही है।
माले सचिव ने आगे कहा है कि 6 सितंबर, 2021 के निर्णय में अब तो माननिय सर्वोच्च न्यायालय ने भी मठ मंदिर के महंत/पुजारी द्धारा किये गए कावाला,लीज को अबैध घोषित कर दिया है. इसलिए महागठबंधन सरकार को मठ मंदिर के जमीन का किये गये केवाला,जमाबंदी को रद्दी कराने के आदेश जारी करना चाहिए।