आखिर क्यों मोदी सरकार गरीब की खाद्यान्न देकर बन्द कीए
दिल्ली /भारत सरकार के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के द्वारा स्वच्छ उचित निर्णय तक राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के लाभुकों को निशुल्क खाद्यान्न वितरण किया जाना है। लेकिन वितरण प्रणाली विक्रेताओं के द्वारा दिसंबर 2022 माह के खाद्यान्न के लिए बिहार राज्य खाद्य एवं असैनिक आपूर्ति निगम को राशि का भुगतान किया गया है। राशि उन्हें वापस कर दी जाएगी साथ ही खाद्यान्न सुरक्षा अधिनियम के तहत निशुल्क खाद्यान्न वितरण उचित मूल्य विक्रेताओं को पूर्व निर्धारित ₹90 प्रति क्विंटल की दर से मार्जिन मनी का भुगतान किया जाना है ।
लेकिन भारत सरकार द्वारा प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत खाद्यान्न उठाव की दिसंबर 2022 तक की अनुमति दी गई है ।
बता दें कि वितरण चक्र के बाद प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना तहत मुफ्त में खाद्यान्न देना है जन वितरण प्रणाली विक्रेताओं को प्रधानमंत्री गरीब योजना योजना के तहत दिसंबर 2022 के निर्गत आयोग के विरुद्ध खाद्यान्न उपलब्ध की सीमा तक भंडार का डिस्पैच पूरा किया जाएगा और निरस्त कर दिया जाएगा साथ ही प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के अवशेष भंडार को राष्ट्रीय खाद सुरक्षा अधिनियम के भंडार में जोड़ दिया जाएगा ।
एक तरफ राष्ट्रीय सुरक्षा खाद्यान्न लाभुकों के बीच निशुल्क वितरण कराने की बात कह रही है। वहीं दूसरी तरफ जो प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना को बंद कर दिया गया है। जिसमें सिर्फ वही खाद्यान्न फिर मिलेगा जो पहले मिलता था और उसमें रुपैया नहीं देना पड़ेगा जो सिर्फ मात्र 2023 के लिए।
अब सरकार पूर्व समय में गरीब को मुफ्त में अनाज देते आ रहे हैं लेकिन 2023 में सरकार गरीब को खाद्यान्न यानी गरीब का आहार छीन कर अब जिसमें गेहूं ₹3 प्रति किलो वही चावल ₹2 प्रति किलो पूर्व से चले आ रहे हैं उसको बंद कर अब फ्री में देने की बात कही है अब इससे लगता है। सरकार गरीब की जो अनाज मिलने वाले हैं उसको हक छीन रहा है। जिसस अब गरीबों को भरपेट भोजन नहीं मिलेगा । जिससे उपभोक्ताओं में काफी नाराजगी देखने को मिल रहा है । वहीं दूसरी तरफ डीलरों द्वारा अपनी राशि नहीं देने को लेकर खाद्यान्न वितरण बंद कर दिया गया है । अब क्या होगा उपभोक्ता को तो सिर्फ ऊपर वाले ही जानेंगे । सरकार योजना परियोजना ला रहे हैं लेकिन ऐसा सिस्टम लाते हैं कि गरीब को हक मार के अपनी ही लेने में जुटे हुए हैं।
कोविड-19 के समय से जो फ्री में अनाज मिलने वाले थे उसको अब सरकार बंद कर दिया
वही सरकार 5 किलो प्रति व्यक्ति देने की योजना शुरू से चलते आ रहे हैं ।वही अब 5 किलो में 2 कीलो गेहूं 3 केजी चावल चावल प्रति किलो ₹2 और गेहूं 3 रुपए देते आ रहे हैं।
लेकिन सरकार के रवैया के चलते उसमें से एक के हूं 1 किलो गेहूं काट लिया गया । यह गरीब को सिर्फ चावल खिला कर ही मारना चाह रहे हैं । और गरीब के हक सरकार छीन रही है।
बता दें कि हाल ही में गैस की कीमत बढ़ने से गरीब गैस जलाने पर मजबूर है और अब वह चूल्हा का सहारा लेना शुरू कर दिया है । यह सरकार का क्या नीति है भारत सरकार सिर्फ बयानबाजी करके और सिस्टम बदल के क्या दिखाना चाह रहे हैं यह तो जनता ही फैसला करेंगे।