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जातिगत भेदभाव समाप्त करने में शिक्षा को मानते थे हथियार : उमेश सिंह कुशवाहा

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पटना /भारत के संविधान रचयिता, सामाजिक सद्भाव एवं समानता के पक्षधर भारत रत्न बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर जी की पुण्यतिथि पर उनके तैल चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की गयी।अनुसूचित जाति प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष पूर्व मंत्री श्री संतोष निराला की अध्यक्षता में सम्पन्न कार्यक्रम में जदयू संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री उपेन्द्र कुशवाहा, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष श्री उमेश सिंह कुशवाहा, विधान परिषद में सत्तारूढ़ दल के मुख्य सचेतक श्री संजय गाँधी, प्रदेश महासचिव श्री लोक प्रकाश सिंह, श्री चंदन कुमार सिंह, सचिव श्री वासुदेव कुशवाहा, श्री ओम प्रकाश सिंह सेतु, प्रवक्ता श्रीमति अंजुम आरा, व्यावसायिक एवं उद्योग प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष श्री कमल नोपानी, श्री शत्रुध्न पासवान, चंचल पटेल सहित पार्टी के सैकड़ों नेताओं व कार्यकर्ताओं ने बाबासाहेब को अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए।

IMG 20221206 WA0121 जातिगत भेदभाव समाप्त करने में शिक्षा को मानते थे हथियार : उमेश सिंह कुशवाहा
इस अवसर पर प्रदेश अध्यक्ष श्री उमेश सिंह कुशवाहा ने कहा कि बाबा साहेब भारतीय संविधान के वास्तुकार थे। वह प्रारूपण समिति के उन सात सदस्यों में थे, जिन्होंने स्वतंत्र भारत के संविधान का प्रारूप तैयार किया था। बाबासाहेब एक प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ और प्रख्यात न्यायविद रहे जिन्होंने अस्पृश्यता और जाति प्रतिबंध जैसी सामाजिक बुराइयों को मिटाने के लिए आजीवन प्रयास कियाl बाबा साहेब बचपन से ही जातिगत भेदभाव को समाप्त करने के लिए शिक्षा को एक हथियार मानते थे। भारत के आज़ाद होने देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने डॉ. साहेब को अपने मंत्रिमंडल में कानून मंत्री के रूप में शामिल किया। संविधान सभा ने संविधान का मसौदा तैयार करने का काम डॉ. अंबेडकर की अध्यक्षता वाले प्रारूप समिति ने ही कियाl
अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में पूर्व मंत्री श्री संतोष निराला ने कहा कि बाबा साहेब ने बैरिस्टर बने और विज्ञान में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। वो 1950 में बौद्ध विद्वानों और भिक्षुओं के एक सम्मेलन में भाग लेने श्रीलंका गए और वापसी के बाद बौद्ध धर्म पर एक किताब लिखा और जल्द ही खुद बौद्ध धर्म स्वीकार किया। उन्होंने 1955 में भारतीय बौद्ध महासभा की स्थापना की। चौथे विश्व बौद्ध सम्मेलन में भाग लेने आप काठमांडू भी गए। उनके विचार एवं दिखाए गए मार्ग आज भी समाज के लिए प्रेरणाश्रोत हैं, हम सभी आज के दिन उनके बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लें यही उनके प्रति होगी सच्ची श्रद्धांजलि।