पुलिस साइबर अपराधियों के नए तौर तरीकों के आगे बेबस और लाचार
न्यूज़ डेस्क
पटना/बिहार साइबर अपराधियों के हौसले किस कदर बुलंद हैं। इसका अंदाजा इसी बात से हो जाता है कि हर महीने करोड़ों रुपए की चपत लोगों को लग रही है। लोग कुछ भी नहीं कर पा रहे हैं। इसका परिणाम यह हो रहा है कि लोग आत्महत्या तक कर रहे हैं ।अवसाद में जा रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि इन साइबर अपराधियों में लड़के और लड़कियां दोनों शामिल हैं।
चाहे फर्जी काल सेंटर हों या फर्जी केवाइसी अद्यतन कराने का बहाना हो। जो लोग इस अपराध में पकड़े जाते हैं उन्हें तुरंत जमानत मिल जाती है।शिकायत कर्ता को पुलिस थानों और साइबर पुलिस का पूरी तरह सहयोग नहीं मिल पाता।
साइबर अपराधों की इतनी बाढ़ आ गई है कि पुलिस की चुनौतियां दुगनी हो गई हैं। पुलिस साइबर अपराधियों के नए तौर तरीकों के आगे बेबस और लाचार इसलिए नजर आ रही है।पुलिस के पास उनसे निपटने के लिए उचित प्रशिक्षण तकनीक का भारी अभाव है। जबकि अपराधी दिन रात नए नए तरीकों से फर्जीवाड़ा कर रहे हैं। इन अपराधियों से निपटने के लिए साइबर मुख्यालय की स्थापना करनी चाहिए और पुलिस के प्रशिक्षण के लिए बंगलुरु और हैदराबाद से विशेषज्ञ बुलाए जाने चाहिए। भारतीय रिजर्व बैंक और न्यायपालकों को भी आगे आकर उचित कदम उठाने चाहिए ताकि गरीब मध्यम और व्यापारी वर्ग के खातों में सेंध न लग सके। कड़ा कानून बनाया जाना आज की आवश्यकता है।