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भारत- नेपाल के बीच जयनगर कुर्था रेल लाइन को पीएम मोदी और नेपाल के पीएम शेरबहादुर देउबा ने शुभारंभ किया

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न्यूज डेस्क

 

बिहार से नेपाल जाने के लिए अब ट्रेन सेवा शुरू हो गई है। भारत- नेपाल के बीच जयनगर कुर्था रेल लाइन को  पीएम मोदी और नेपाल के पीएम शेरबहादुर देउबा ने शुभारंभ कि। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोनो देशों के बीच कनेक्टिविटी को बढ़ाने और विकास के अन्य प्रोजेक्ट को भी शीघ्र पूरा करने का भरोसा दिया।

उन्होंने कहा कि PM देउबा और मैंने व्यापार और सभी प्रकार से cross-border connectivity initiatives को प्राथमिकता देने पर भी सहमती जताई। जयनगर-कुर्था रेल लाइन की शुरुआत इसी का एक भाग है।दोनों देशों के लोगों के बीच सुगम, बाधारहित आदान-प्रदान के लिए ऐसी योजनायें बेहतरीन योगदान देंगी।जयनगर-कुर्था रेलमार्ग शुरु होने से भारत और नेपाल के बीच आवागमन आसान हो गया है।भारत के जयनगर तथा नेपाल के कुर्था, इनरवा, खजुरी, महिनाथपुर, बैदेही, परवाहा और जनकपुर के लोगों को मिलेगी सुविधा।

पहले चरण में ट्रेन सेवा बिहार के जयनगर से नेपाल के कुर्था तक है जिस बाद में जनकपुर तक विस्तारित किया जाएगा।नेपाल के पीएम और पीएम मोदी के बीच नई दिल्ली के हैदराबाद हाउस में हुए द्विपक्षीय बातचीत के बाद ये उद्घाटन हुआ।

भारत और नेपाल के बीच ट्रेन सेवा शुरू होने को लेकर दोनों देशों के नागरिकों में जबरदस्त उत्साह है। अब लोग 40 मिनट में ही जयनगर से जनकपुर पहुंच जाएंगे और तीन घंटे तक समय की बचत होगी।

व्यपारियो में व्यापार विस्तार होने को लेकर भी काफी हर्ष है। बॉर्डर के दोनों तरफ उत्सव का माहौल है। इस ट्रेन को लेकर एक खास नियम बनाया गया है। बताया गया इस ट्रेन में भारत व नेपाल को छोड़ किसी अन्‍य देश के नागरिक सफर नहीं कर सकेंगे। ट्रेन अभी जयनगर से कुर्था के बीच चलेगी।

हालांकि, आने वाले दिनों में इसे वर्दीवास तक बढ़ाया जाना है। साथ ही यात्रियों को दोनों देशों में जाने के लिए वीजा भी नहीं लगेगा। वे पहचान पत्र दिखाकर एक दूसरे देश की यात्रा कर सकते हैं।
दरअसल 8 साल बाद भारत और नेपाल के बीच ट्रेन सेवा शुरू होने से दोनों देशों के नागरिकों में जबरदस्त उत्साह है। अब लोग 40 मिनट में ही जयनगर से जनकपुर पहुंच जाएंगे और तीन घंटे तक समय की बचत होगी। जयनगर से जनकपुर जाने में अभी दो सौ रुपये से अधिक खर्च हो जाते हैं। वाहन बदलना पड़ता है। ट्रेन से महज 43.75 रुपये में लोग पहुंच जाएंगे।

नैरो गेज लाइन पर 1952 से 1980 तक कोयला इंजन और उसके बाद डीजल इंजन वाली ट्रेन का परिचालन हुआ। 1852 में अंग्रेजो ने नेपाल से साल और अन्य चीजों की लकड़ी धोने के लिए दोनों देशों के बीच सिंगल नैरो गेज पटरी बिछाई। 1980 तक कोयला इंजन के सहारे ट्रेन चलती थी। इसके बाद 2014 तक इसी नैरो गेज पर डीजल इंजन से ट्रेन चलती थी और पहले ये ट्रेन तीन फेरी लगाती थी।