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बिहार बजट .जुमलेबाजी का दस्तावेज ।।2.आंकड़ों की कलाबाजी का एक उदाहरण 

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News desk

पटना / राजद के प्रदेश प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने बिहार विधानसभा मे आज पेश किए गए आम बजट को जुमलेबाजी का दस्तावेज बताते हुए कहा है कि उप मुख्यमंत्री सह वित्त मंत्री द्वारा आज पेश किए गए बजट में जो लोक लुभावने घोषणायें की गई है उस पर अमल कैसे किया जाएगा इसकी कोई चर्चा नहीं है। मंत्री जी ने अपने पिछले बजट भाषण में 20 लाख नौजवानों को रोजगार देने का वादा किया था , इस बार तो उसे ठंढे वस्ते में हीं डाल दिया गया ।
राजद प्रवक्ता ने कहा कि सरकार द्वारा बजट भाषण में शिक्षा , स्वास्थ्य, कृषि , उधोग , शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के आधारभूत संरचना के साथ हीं विभिन्न वर्गों के विकास को प्राथमिकता देने की बात कही गई है पर इसका रोडमैप क्या है इसका कोई उल्लेख नही है। पिछले वर्ष की तुलना में इस वित्तिय वर्ष ( 2022 – 23 ) के बजट में 19,349 की बढ़ोत्तरी बताकर सरकार अपना पीठ थपथपा रही है , पर सरकार को यह भी बताना चाहिए कि पिछले वित्तीय वर्ष ( 2021 – 22 ) के 2,18,302 करोड़ के बजट में कितनी राशी खर्च कर पायी है।
राजद प्रवक्ता ने कहा कि आज सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी है पर रोजगार सृजन की कोई रोडमैप इस बजट में नही है। शिक्षकों के लाखों रिक्तियों के साथ ही सरकार के विभिन्न विभागों में लाखों-लाख रिक्तियों के बावजूद वर्षों से बहाली नही हो रही है।
बजट भाषण में किसानों को लुभाने के लिए कई वादे किये गए हैं पर सरकार यह नहीं बता रही है कि पिछले तीन-तीन बार बनाए गए कृषि रोड मैपों का हश्र क्या हुआ। नल-जल योजना तो भ्रष्टाचार का पर्याय बन चुका है।
राजद प्रवक्ता ने कहा कि सच्चाई यह है कि आंकड़ों की कलाबाजी कर मात्र यह बजट की औपचारिकता पूरी की गई है । इसमें न कोई दृष्टि है और न कोई दिशा ।
चित्तरंजन गगन

2.आंकड़ों की कलाबाजी का एक उदाहरण 

पिछले साल  बजट में शिक्षा विभाग के लिए 38 हजार 035 करोड़ का प्रावधान किया गया था। जबकि 2022-23 बजट में शिक्षा विभाग को 39, हज़ार 191 करोड़ दिया गया है। यानी शिक्षा विभाग के बजट में पिछले साल के मुकाबले सिर्फ 1156 करोड़ की बढ़ोतरी हुई है। इसे अगर दूसरे नज़रिए से देखें तो शिक्षा के बजट में कटौती ही की गई है। 2021-22 में 2.18 लाख करोड़ के बजट में 17 % हिस्सा शिक्षा के लिए 2022-23 में 2.37 लाख करोड़ के बजट में 16.5 % हिस्सा शिक्षा के लिए। मतलब प्रतिशत में देखें तो शिक्षा के बजट में पिछली बार के मुकाबले में 0.5 प्रतिशत कटौती ही हुई है।