बिहार

उच्च न्यायालय पटना ने जाति आधारित गणना पर फिलहाल रोक

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राजकुमार यादव की रिपोर्ट

पटना उच्च न्यायालय  ने जाति आधारित गणना पर फिलहाल रोक लगा दी है। कोर्ट ने राज्य सरकार को जाति आधारित सर्वे तुरंत बंद करने का आदेश दिया साथ ही यह सुनिश्चित करने को कहा कि एकत्र किए गए डाटा सुरक्षित रखें और किसी भी हाल में अंतिम आदेश पारित होने तक किसी के साथ इसे साझा नहीं करें।

कोर्ट ने इन सभी मामलों पर आगे की सुनवाई के लिए 3 जुलाई की तारीख तय की है। कोर्ट के अंतिम आदेश के कुछ घंटे बाद ही समान प्रशासन विभाग ने गणना पर रोक का आदेश जारी किया है।

कोर्ट ने सर्वे और जनगणना में अंतर बताते हुए कहा कि सर्वे में किसी खास का डाटा इकट्ठा कर उसका विश्लेषण किया जाता है ।जबकि जनगणना में प्रत्येक व्यक्ति का विवरण इकट्ठा किया जाता है।

कोर्ट ने कहा कि जब विधायिका के पास कानून बनाने की शक्ति है तो फिर दोनों सदनों में जाति आधारित सर्वे प्रस्ताव को पारित करा कर कैबिनेट से मंजूरी लेनी होगी। विधायिका को जाति आधारित सर्वे करने के लिए सीधे कानून बना देना चाहिए था ।

लेकिन राज्य सरकार ने ऐसा नहीं किया , जातीय जनगणना पर हाईकोर्ट की अंतरिम रोक पर महा गठबंधन एवं एनडीए के नेताओं के बीच पर पलटवार किया है। महागठबंधन कोर्ट के अंतिम आदेश पर कोई टिप्पणी करने से परहेज कर रहा है।

लेकिन एनडीए नेताओं के वार पर पलटवार भी कर रहा है, एनडीए नेताओं का आरोप है कि सरकार हाईकोर्ट में मजबूती से अपना पक्ष नहीं रख सके इसीलिए ऐसा फैसला आया है ।राजद के नेताओं ने कहा कि अंतिम आदेश तक गणना के रोक से भाजपा खुश है। भाजपा नेताओं से पूछा कि वह जातीय जनगणना के पक्ष में है या नहीं इस पर उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में आदेश पढ़कर आगे निर्णय लिया जाएगा इसके लिए हम प्रतिबद्ध हैं यह किसी विशेष जाति के लिए नहीं बल्कि सबके लिए था। इसमें किसी का निजता का सवाल ही नहीं है अआप सब जानते हैं कि यह जाति आधारित गणना है कोई जनगणना नहीं है ।अगर यह लोग जातीय गणना कराना चाहते हैं तो भाजपा शासित राज्यों में क्यों नहीं कर रहे हैं जातीय गणना के बिना राज्य आगे कैसे बढ़ सकता है। तरक्की कर सकता है और दूर किया जा सकता है बिहार गरीब राज है राज्य सरकार अपने ही संसाधन से सर्वे करा रही है यह काम सर्व दलीय बैठक में निणय लिया गया था इस पर सभी दलो के साथ मिलकर प्रधानमंत्री को मेमोरंडम दिया गया था। उसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जातीय आधारित गणना शुरू कराया पूर्व उपमुख्यमंत्री सह राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि जातीय गणना कराने को लेकर राज्य सरकार एक भी सवाल का जवाब ढंग से नहीं दे पाने के कारण हाईकोर्ट ने रोक लगा दिया है। जातीय आधारित गणना गणना कराने का फैसला एनडीए सरकार की थी जिसमें भाजपा भी शामिल थे अदालत की अंतरिम रोक के बाद जातीय गणना लंबे समय तक चल सकती है और इसके लिए मुख्यमंत्री जिम्मेदार हैं उधर विधान परिषद में प्रतिपक्ष के नेता सह भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा कि जाति आधारित गणना पटना उच्च न्यायालय की रोक के लिए सिर्फ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जिम्मेदार हैं ।

आरोप लगाया कि सरकार ने जातीय गणना को लेकर अदालत में अपना पक्ष सही ढंग से नहीं रखा। जिस पर लोग रोक लगा दी गई सरकार जाति आधारित गणना करवाना ही नहीं चाहती थी जिसका कारण जानबूझकर ऐसा करवाया गया जब एनडीए की सरकार थी ।तब जाति आधारित गणना राज्य में कराने का निर्णय लिया गया था लेकिन इस पर रोक लगा दी गई भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष संजय जयसवाल ने कहा कि सभी दलों की सामूहिक समिति से जाति जनगणना का निर्णय हुआ था। लेकिन इस मामले को भी राज सरकार पटना हाईकोर्ट में सही से नहीं रख सके बिहार सरकार हाईकोर्ट को एक मामले में संतुष्ट नहीं करा पाती है या बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है ।इस पर भाजपा विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू ने कहा कि जातीय जनगणना सभी वर्गों के लिए लाभकारी है चाहे दलित व पिछड़ा हो या स्वर्ण जातीय गणना होनी चाहिए उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अच्छी सोच है ।केंद्र सरकार को भी आगे आकर इस कार्य को करना चाहिए स्वर्ण जातियों में भी काफी गरीबी है जो पिछले 10- 12 सालों में और गरीबी बड़ी है बिहार में चल रहे जातीय गणना में आर्थिक स्थिति की भी जानकारी ली जा रही थी। इसे गरीबों की जानकारी मिलेगी ।उनके विकास के लिए विशेष योजना चलाने में राज्य सरकार को मदद मिलेगी ।राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सह पूर्व मंत्री शिवानंद तिवारी ने कहा कि जातीय गणना को सिद्धांत रूप में सब लोग मानते हैं। इस मामले पर 3 जुलाई को सुनवाई होगी अभी फिलहाल रोक है इसका हम आदर करते हैं नगर निकाय में आरक्षण देने की बात होती है तो उसमें भी हाईकोर्ट ने कहा है कि किस आधार पर आरक्षण दे रहे हैं  कैसे हैं साबित कीजिए तो बिना सर्वेक्षण कैसे साबित होगा। विपक्ष को कहने के लिए एक आधार है मिला है वह अपना काम कर रहे हैं तो यह मतलब नहीं है हम अपना काम छोड़ दें राजद प्रवक्ता सह राज्यसभा सांसद मनोज झा ने जाति जनगणना पर अदालत के फैसले पर कहा कि देश में खासकर बिहार को एक समावेशी मॉडल की जरूरत है। समस्त विधानमंडल मुख्यमंत्री उपमुख्यमंत्री ने अख्तियार किया कि इस पर आगे बढ़ेंगे आखिर विकास किस चीज की हमें पता है कि एक दल को आज बड़ी खुशी हो रही है कि इस पर रोक लगा दिया गया हमारा मानना है कि जहाँ सामाजिक न्याय की बात होती है वहाँ जानबूझकर रुकावटें पैदा कई जाती है कभी कोई व्यक्ति कोई दल होता है लेकिन जब संस्थाएं और रोज बनती हैं तो बहुत कष्ट होता है ।

जोकि संस्थाओं से बड़ी उम्मीद है इसपर राजनीतिक विश्लेषक जेपी चौधरी ने कहा कि राजनीतिक अपनी जगह है ।जब भाजपा नीतीश सरकार में साथ थी तो उसी वक्त सर्वदलीय बैठक में निणय लिया गया था ।इसमें दलितों की संख्या में बढोत्तरी तथा दलितों राजनीतिक जागरुकता को देखते हुए इस तरह का रोकने के लिए साजिश की गयी ताकि गरीबों शोषितों एवं दलित आकड़ों से दूर रहेगे।