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आखिर महिलाएं गर्भपात क्यों कराती हैं

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सेंट्रल डेस्क

नई दिल्ली/सुप्रीम कोर्ट द्वारा विवाहित और अविवाहित महिलाओं को 24 सप्ताह तक गर्भपात कराने का अधिकार मिलने के बाद से इस बात की चर्चा जोरों पर है कि आखिर महिलाएं गर्भपात क्यों कराती हैं। इसके लिए वे कौन-कौन से तरीकों का सहारा लेती हैं। क्या भारत में सभी गर्भपात सुरक्षित होता है। खास बात यह है कि गर्भपात के खिलाफ कानून होने के बाद भी 2.1 प्रतिशत एबॉर्शन सिर्फ इसलिए कराए जाते हैं कि महिला के गर्भ में पल रहा भ्रूण लड़की है। इतना ही नहीं शिक्षित समाज के दौर में गर्भपात के करीब 48 प्रतिशत मामलों की वजह जानकर तो आप दंग रह जाएंगे।

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राहत की बात ये है कि आर्थिक कारणों की वजह से गर्भपात की दर अन्य मामलों की तुलना में संतोषजनक स्थिति में है। इसे आप संतोषजनक इसलिए कह सकते हैं कि भारतीय समाज में ये धारणाएं हैं कि गरीबी की वजह से लोग गई ऐसे अनैतिक व गैर कानूनी काम करते हैं, जो उन्हें नहीं करना चाहिए। भारत में 3.4 प्रतिशत अबॉर्शन आर्थिक कारणों से होता है। आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल ऐसे राज्य है जहां आर्थिक कारणों की वजह से गर्भपात सबसे ज्यादा होता है। 2.1 प्रतिशत अबॉर्शन इस वजह से होता है क्योंकि गर्भ में पल रहा भ्रूण लड़की थी। ये स्थिति तब है जब भारत में गर्भ में पल रहे भ्रूण का सेक्स जानना कानूनन जुर्म है। 12.7 प्रतिशत गर्भपात अन्य कारणों से होता है।

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नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 का डाटा बताता है कि भारत में जितना गर्भपात होता है। उसका लगभग 27 फीसदी घर में होता है।  महिलाएं-लड़कियां अबॉर्शन के लिए अस्पताल नहीं जाती हैं बल्कि इस मेडिकल प्रक्रिया को खुद ही कर लेती हैं। शहरों में 21.6 प्रतिश गर्भपात महिलाएं स्वयं करवा लेती हैं जबकि ग्रामीण महिलाओं के लिए ये आंकड़ा 30 फीसदी है। भारत में आधा से अधिक लगभग 54.8 महिलाएं गर्भपात के लिए डॉक्टर के पास जाती हैं। भारत में 3.5 प्रतिशत एबॉर्शन तो दोस्त और रिश्तेदार करवा देती हैं।

संयुक्त राष्ट्र की वर्ल्ड पॉपुलेशन रिपोर्ट 2022 के मुताबिक भारत में हर दिन असुरक्षित गर्भपात से जुड़े कारणों की वजह से लगभग 8 महिलाओं की मौत होती है। असुरक्षित गर्भपात भारत में मातृ मृत्यु दर की तीसरी बड़ी वजह है। इस रिपोर्ट के अनुसार 2007 से 11 के बीच भारत में 67 फीसदी अबॉर्शन को असुरक्षित माना गया था।दिल्ली में राष्ट्रीय औसत से ज्यादा गर्भपात दिल्ली में गर्भपात  का विकल्प चुनने वाली महिलाओं का अनुपात राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों से ज्यादा है। राजधानी में गर्भवती हुई 5.7 फीसदी महिलाएं गर्भपात का विकल्प चुनती हैं। जबकि राजस्थान में ये आंकड़ा 1.5 प्रतिशत और मध्य प्रदेश में 1.3 प्रतिशत है। 19 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में गर्भपात का विकल्प चुनने वाली महिलाओं का अनुपात राष्ट्रीय औसत 2.9 से ज्यादा है। बता दें कि एक दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल टर्मिनेशन प्रेग्नेंसी एक्ट के भारत में अविवाहित और विवाहित महिलाओं को 24 हफ्तों तक गर्भपात कराने का अधिकार दे दिया है।