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हिंदी भाषा के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए हमें प्रतिबद्ध होना होगा :जिलाधिकारी

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न्यूज़ डेस्क 

मधुबनी/बिहार आधुनिक काल में मोबाइल के चलन ने आम लोगों में अंग्रेजी के दैनिक उपयोग के प्रचलन को बढ़ावा देने का काम किया है। आज अपनी बात अल्प शब्दों में प्रेषित करने के चक्कर में लोग भाषा को तोड़ मरोरकर उपयोग करते हैं, जिससे अंग्रेजी के साथ साथ हिंदी के उन्नत शब्दों और भाषा विन्यास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।

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उन्होंने कहा कि विश्व में हिंदी तीसरी सबसे अधिक लोगों द्वारा उपयोग में लाए जाने वाली भाषा है। हमें हिंदी की मूल भावना को जीवित रखने के लिए कदम उठाने होंगे। आज जिले के कार्यालयों में हिंदी का हर संभव उपयोग किया जा रहा है। जिसे आगे भी निरंतर जारी रखा जाएगा।

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उन्होंने कहा कि हिंदी जितनी समृद्ध होगी उसका संवर्धन उतना ही अधिक होगा। इसके लिए हमें प्रचलन में आने वाले नए नए शब्दों को भी इसमें समाहित करना होगा। इसे बाहरी प्रभाव के असर से विचलन न मानते हुए, हिंदी की ग्रह्यता के रूप में देखना चाहिए। यह हिंदी की विशेषता है कि इसमें नए शब्दों की स्वीकार्यता संभवतः अन्य भाषाओं से त्वरित रूप से होती है।

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जिलाधिकारी ने अपने वक्तव्य में कहा कि हमारे आपके और सबों के अनवरत प्रयास से हिंदी ज्ञान पूंज के रूप में सदैव बनी रहेगी।जिलाधिकारी द्वारा हिंदी दिवस के अवसर पर साहित्यकार डॉ शुभ कुमार वर्णवाल, प्राचार्य, कालीदास विद्यापति साइंस कॉलेज, उच्चैठ, बेनीपट्टी तथा भोलानंद झा, सचिव, वैदेही कला परिषद, मधुबनी को हिंदी साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।

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पंडित राजेश रंजन पांडेय द्वारा हिंदी दिवस समारोह की अध्यक्षता की गई और उपस्थित लोगों को हिंदी की विशेषताओं से परिचय कराया गया। अन्य प्रमुख वक्ताओं में प्रो जे पी सिंह, उदय जायसवाल, प्रो नरेंद्र नारायण सिंह निराला सहित हिंदी साहित्य से जुड़े हुए अन्य रचनाकर और कवि शामिल हुए।