अंग्रेजों के जमाने का बना झरिया व जोरापोखर थाना, जर्जर अवस्था में सुना रहा है फसाना
सत्येंद्र सिंह , धनबाद
धनबाद /अंग्रेजों के जमाने के झरिया और जोरापोखर थाना अब जर्जर हो चुका है। आजादी के 75 वें वर्ष में अमृत महोत्सव मनाते हुए दोनों थाना के पुलिसकर्मी उसी भवन में बैठ कर काम करने को विवश हैं।थाना की जर्जरावस्था को देख कर झरिया की विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह ने विधानसभा के बजट और शीतकालीन सत्र में आवाज उठाई,मगर अब तक सरकार की ओर से कोई पहल नहीं हुई है।
रहने लायक नहीं रहा पुलिसकर्मियों का आवास
झरिया थाना की अपनी जमीन भी है। थाना भवन में एक थाना प्रभारी कक्ष, एक सिरिस्ता व हाजत के नाम पर एक छोटा रूम है।थाना के बाहर पुलिस जवानों के रहने के लिए आवास था, जो अब रहने लायक नहीं रह गया है। थाना परिसर में दो बैरक बनाया गया था. अब उससे भी पानी टपकता है।थाना में लगभग 50 पुलिसकर्मी हैं. परंतु बैरक में अधिक से अधिक 30 ही रह सकते हैं।बाथरुम और किचन की स्थिति तो और भी खराब है. फरियादियों के लिए तो बैठने की भी जगह नहीं है।झरिया ऐतिहासिक शहर है.यहां की आबादी घनी है. थाना में प्रतिमाह लगभग डेढ़ सौ मामले पहुंचते हैं। साल भर में लगभग 300 मामले दर्ज किए जाते हैं।
जोरापोखर थाना भी अपनी हालत पर बहा रहा आंसू
जोरापोखर थाना भवन में अंग्रेजों के जमाने के थानेदार रौब झाड़ चुके हैं।मगर अब यह थाना भवन खुद अपनी हालत पर आंसू बहाने को विवश है।किसी जमाने में थाना के पीछे सुभाष चंद्र बोस के करीबी स्वर्गीय रुनू सेन रहा करते थे।सुभाष चंद्र बोस अंतिम बार उनके घर भी आए थे. फिर यहीं से गोमो स्टेशन चले गए, जहां से लापता हो गए थे. ब्रिटिश पुलिस ने रुनु सेन को इसी थाने में रखकर पूछताछ की थी। आजादी के 75 साल गुजर चुके हैं। एक थाना प्रभारी कक्ष और एक सिरिस्ता वाला यह थाना भवन अब जर्जर हो चुका है. बाहर बैरक और किचन रूम है।वह भी जर्जर अवस्था में है।
पुलिसकर्मियों के लिए न तो बाथरूम है और न फुर्सत के क्षण में आराम करने की जगह है। फरियादियों के लिए भी कोई व्यवस्था नहीं है. थाना भवन जर्जर तो हो ही चुका है, लम्बाई-चौड़ाई में छोटा भी है। जोरापोखर थाना क्षेत्र में लगभग दो लाख की आबादी निवास करती है. 4 किलोमीटर क्षेत्र में फैले इस इलाके में विधि-व्यवस्था संभालने वाले इस थाने में लगभग 30 पुलिसकर्मी हैं।
झरिया थाना भवन के लिए मिला फंड, वापस हो गया
झरिया की विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह
शांति समिति के केंद्रीय सदस्य भगत सिंह कहते हैं कि जोरापोखर और झरिया थाना का भवन बिल्कुल जर्जर हो चुका है।झरिया थाना भवन निर्माण के लिए दो बार फंड आया. लेकिन वापस चला गया। जोरापोखर थाना की भी वही स्थिति है,दोनों थाना के नए भवन निर्माण को लेकर झरिया विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह ने विगत 1 अगस्त को विधानसभा के मानसून सत्र में सवाल किया था।विधायक ने विधानसभा में बताया कि दोनों थानों में ना तो स्वागत कक्ष है, ना प्रतीक्षालय. अनुसंधान कक्ष, मीटिंग हॉल, कंप्यूटर रूम, हाजत, रेस्ट रूम, बाथरूम किचन की सुविधा होनी चाहिए, जो नहीं है. जवाब में गृह कारा आपदा प्रबंध विभाग ने कहा कि फिलहाल राशि नहीं है. राशि उपलब्ध होने पर 2022 – 23 में मॉडल थाना भवन बन सकेगा।
इससे पहले बजट सत्र में 28 फरवरी 2022 को भी विधायक ने सवाल किया था।जवाब वही था कि अभी राशि नहीं है। अब विभाग के पास पैसा आए, तब न मॉडल थाना बने।