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सुशासन राज में गजब का है सरकारी सिस्टम

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अमर सिंह की रिपोर्ट

 

मोतिहारी/ सुशासन राज में गजब का है सरकारी सिस्टमनौनिहालों के निवाले को गटक रहे अफसर और ठेकेदार।मोतिहारी में एमडीएम में बड़े स्तर पर वारा-न्यारा किया गया है। जिले में फरवरी माह में नौनिहालों को मिलने वाले एमडीएम के चावल को अधिकारी व संवेदक मिलकर गटक गए ।

सप्लाई में गड़बड़ी होना लाजिमी है। जिले में एमडीएम के सफल संचालन का जिस अधिकारी पर जिम्मा है वही ये बात कह रहे। समझा जा सकता है कि फरवरी महीने में बच्चों के निवाले का जो चावल आया उसे किन लोगों ने खाया।मोतिहारी के दर्जनों ब्लॉक में MDM घोटाला
मोतिहारी में एमडीएम का प्रभार खुद जिला शिक्षा पदाधिकारी के जिम्मे है।

जिले के पताही प्रखण्ड में फर्जी संवेदक बनकर नौनिहालों के हक का 219 क्विंटल चावल गबन का मामला उजागर होने के बाद अन्य सभी प्रखंडो में भी भारी गड़बड़ी का चर्चा शुरू है। सभी 27 प्रखंड के नौनिहालों के लिए फरवरी माह में दो-दो आवंटन मिला था। एक में 34 दिनों के लिए 26845 क्विंटल व 9 दिनों के लिए 7106 क्विंटल चावल का आवंटन जिला मध्यान भोजन को प्राप्त हुआ।यह चावल नौनिहालों के बीच वितरित करना था। लेकिन शिक्षा विभाग के अधिकारी व संवेदक ने मिलकर नौनिहालों के चावल को कागज में ही वितरण कर दिया। निवाला का गबन की खबर चलने के बाद पताही प्रखंड में जांच की गई। हालांकि जांच में भी डंडी मारा गया और मात्र 219 क्विंटल चावल गबन का केस बीआरपी व संवेदक पर कर मामले को रफा दफा करने की कोशिश की गई। जबकि विश्वसनीय सूत्रों की मानें तो जिले के दो-तीन प्रखण्डों को छोड़ दें तो बाकी सभी प्रखंडो में अधिकारियों की मिलीभगत से नौनिहालों का निवाला गटका गया है। हजारो क्विंटल चावल कालाबजारी में बिक गया । अधिकारी नौनिहालों के निवाले का सौदा कर मस्त हैं । अभिभावकों ने जिला के वरीय अधिकारियों से फरवरी माह के एमडीएम वितरण की जांच दूसरे विभाग के अधिकारियों से कराने की मांग कर रहे हैं। सबसे पहले पताही प्रखण्ड में एमडीएम का चावल कालाबाजारी करने का मामला सुर्खियों में आया । इसके बाद आनन फानन में शिक्षा विभाग ने सभी स्कूलों में जांच कराई। जांच में 219 क्विंटल की गड़बड़ी का खुलासा हुआ। जिसके बाद जिला एमडीएम प्रभारी सह डीईओ द्वारा पताही बीआरपी व संवेदक पर चावल गबन का केस दर्ज कराया गया । पताही प्रखंड में नौनिहालों के निवाले में इतनी बड़ी गड़बड़ी के बाद भी शिक्षा विभाग के अधिकारियों को भनक तक नही लगना बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है। एक प्रखंड में इतनी बड़ी गड़बड़ी के बाद अन्य प्रखंडो में भी नौनिहालों के निवाला गबन का प्रश्न उठना लाजमी है। इस योजना को धरातल पर उतारने वाले अधिकारी ही नौनिहालों के निवाला का गबन करने में जुटे हैं ।

शिक्षा विभाग के सूत्रों के अनुसार संवेदक,एमडीएम के जिम्मेदार अधिकारी व एचएम कागज में ही नौनिहालों के निवाले का खेल कर फिफ्टी-फिफ्टी मैच खेल गये। कई प्रखंडो में एक आवंटन का चावल स्कूलों में कागज में ही उठाव-वितरण करके 800-1000 रू प्रति क्विंटल के दर से ठिकाने लगा दिया गया। फरवरी माह के स्कूल में हुए आवंटन-वितरण की जांच एचएम के साथ-साथ नामांकित बच्चों व अभिभावकों से पूछताछ कर किया जाये तो बड़े घोटाले से इनकार नही किया जा सकता।क्या कहते हैं डीईओ
इस संबंध में जिला एमडीएम प्रभारी सह डीईओ संजय कुमार ने बताया कि सप्लाई में गड़बड़ी होना लाजमी है । जिले में 27 प्रखण्ड होने के कारण सभी प्रखंडो का जांच करना संभव नही है । सभी प्रखंडों में जांच के लिए अधिकारी ही नही हैं । प्रखंड स्तर पर अगर गड़बड़ी हुई है तो उसमें प्रखंड स्तर के शिक्षा विभाग के सभी अधिकारी की सहमति से इनकार नही किया जा सकता। पताही के अलावा दो प्रखंडों में जांच कराया गया है ।