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बाढ़ को रोकने से बेहतर है बाढ़ को नियंत्रित करना : डॉ. चौधरी

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लदनियां से अमरनाथ यादव की रिपोर्ट

मधुबनी /लदनियां प्रखंड के खाजेडीह स्थित एसएमजे कॉलेज में शनिवार को भूगोल विभाग के द्वारा उत्तर बिहार में बाढ़ एवं जल प्रबंधन विषय पर राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन विधायक मीना कुमारी, डा. शारदानंद चौधरी, डॉ. धनेश्वर प्रसाद सिंह, डॉ. विद्यानंद झा, प्राचार्य डॉ. जगदीश प्रसाद, नागेन्द्र नाथ झा, जयवीर सिन्हा ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। विधायक ने कॉलेज के सम्बर्द्धन में हर संभव सहायता का आश्वासन दिया। प्राचार्य डॉ. जगदीश प्रसाद की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम का संचालन चार सत्रों में किया गया।

IMG 20220416 WA0087 बाढ़ को रोकने से बेहतर है बाढ़ को नियंत्रित करना : डॉ. चौधरीकार्यक्रम को विद्वानों ने ऑनलाइन व ऑफलाइन संबोधित किया। ऑनलाइन संबोधित करते हुए एनएन एमयू की प्रोवीसी डॉ. डॉली सिन्हा ने कहा कि नदियों के तट बर्धन की जगह उड़ाही करने की जरूरत है। रांची विश्वविद्यालय की डॉ. लाडली रानी ने कहा कि बाढ़ नियंत्रण के लिए नदियों को साफ करने की जरूरत है। कृषि विश्वविद्यालय पूसा के डॉ. धर्मनाथ कामत ने कहा कि जल संरक्षण का क्षेत्रीय आधार होना चाहिए। डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने कहा कि विभिन्न प्रकार से जल संरक्षण की आवश्यकता है। डॉ. कुमारी क्षिप्रा ने कहा कि बाढ़ को नियंत्रित करने की जरूरत है। ऑफलाइन संम्बोधित करने वाले विद्वानों में शामिल पीजी भूगोल के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. शारदानंद चौधरी ने कहा कि बाढ़ को रोकने की जगह नियंत्रित करने की जरूरत है। पूर्व प्राचार्य डॉ. वैद्यनाथ झा ने कहा कि बाढ़ की चुनौती को स्वीकार कर समाधान की दिशा में बढ़ने की है जरूरत। पूर्व डीन व पीजी हेड डॉ. धनेश्वर प्रसाद सिंह ने कहा कि मिथिला में जल संरक्षण सहज संभव। डॉ. अनुरंजन ने कहा कि बाढ़ नियंत्रण के लिए नदियों को परस्पर जोड़ना जरूरी। प्रो. राममूर्ति सिंह, प्रो. हरिनारायण यादव ने भी संबोधित किया। ऑरगेनाइजर व भूगोल विभागाध्यक्ष प्रो. रामप्रसाद सिन्हा ने सम्मान कार्यक्रम की शुरूआत की। संचालन डॉ. अश्विनी कुमार सिन्हा ने किया। मौके इन्टर कॉलेज के प्राचार्य प्रो. प्रदीप कुमार सिंह, प्रो. भागवत ठाकुर, प्रो. देवनारायण सिंह, प्रो. उपेन्द्र कुमार सिंह, प्रो. नसीब लाल सिंह, डॉ. बालगोविंद प्रसाद, प्रो. रवीन्द्र कुमार, प्रो. विष्णुदेव सिंह, प्रो. अग्नि कुमार, प्रो. शंभूनाथ सिंह, डॉ. रामप्रकाश सिन्हा, प्रो. प्रेमकांत झा, प्रो. रामपरीक्षण सिंह, प्रो. महेन्द्र महतो, प्रो. रामसगुन सिंह, शंभूनाथ सिंह, प्रो. कृष्णदेव राय, प्रो. लेखनारायण सिंह, प्रो. लुचाई सिंह, प्रो. गौरीशंकर कामत, डॉ. सुभाष चन्द्र, समेत दर्जनों कर्मी उपस्थित थे।