बिहारस्वास्थ्य

निजी एंबुलेंस हटाने को लेकर सदर एसडीओ को लिखा पत्र

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सुरेश गुप्ता की रिपोर्ट

बिचौलियों पर रोक लगाने व मरीजों के आर्थिक शोषण से बचाव हो इसके लिए अस्पताल प्रशासन ने ठोस कदम उठाना शुरू कर दिया है। हालांकि कदम कितनी कारगर साबित होती है यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा लेकिन इतना तय है कि इस पहल से काफी हद तक बिचौलियों के मनमानी पर रोक लगेगी। सदर अस्पताल के अधीक्षक ने वैसी आशा कार्यकर्ता जो मरीजों को निजी क्लीनिकों में ले जाने का दवाब बनाती है, उन सभी की सूची सिविल सर्जन को सौंप दी है। साथ ही निजी एंबुलेंस को चिकित्सकों के आवास के सामने से हटाने को लेकर एसडीओ अश्विनी कुमार को भी पत्र लिखा है। सदर अस्पताल के अधीक्षक ने मनमानी करने वाली आशा कार्यकर्ताओं के नाम की सूची सीएस को भेजते हुए लिखा है कि इन आशा कार्यकर्ताओं के द्वारा प्रतिदिन ही अनावश्यक रूप से सदर अस्पताल में उपस्थित होकर ओपीडी, प्रसव कक्ष के मरीजों को आर्थिक शोषण किया जाता है। साथ ही गरीब मरीजों पर निजी क्लिनिकों में इलाज के लिए अनावश्यक दवाब बनाया जाता है। अधीक्षक ने कहा है कि बार-बार चेतावनी देने के बावजूद इन आशा कार्यकर्ताओं के आचरण में कोई भी अपेक्षित सुधार नहीं किया गया है। ऐसे में इन आशा कार्यकर्ताओं पर कार्रवाई के लिए अधीक्षक ने सीएस से अनुरोध किया है।

इन आशा कार्यकर्ताओं की भेजी गई है सूची::
जिन आशा कार्यकर्ताओं की सूची अधीक्षक ने सीएस को दी है उनमें रहिका प्रखंड की  मुन्नी कुमारी, नीलम कुमारी, नसीमा खातुन, रीणा देवी, रंभा कुमारी शामिल हैं। जबकि राजनगर प्रखंड की सीता देवी व ललिता देवी, पंडौल की मालती देवी, खजौली की रोजीदा खातुन व कलुआही की सीता देवी शामिल हैं।सदर अस्पताल के अधीक्षक ने सदर एसडीओ अश्विनी कुमार को पत्र लिखकर चिकित्सकों के आवास के सामने से निजी एंबुलेंस को हटाने का अनुरोध किया है। लिखे गए पत्र में अधीक्षक ने कहा है कि सदर अस्पताल के मुख्य द्वार के सामने चिकित्सकों के सरकारी आवास के सामने अनाधिकृत रूप से प्राइवेट एंबुलेंस यत्र-तत्र खड़ा किया जा रहा है जिसके कारण काफी कठिनाई हो रही है। मालूम हो कि देर रात्रि में एंबुलेंस चालकों के साथ-साथ असमाजिक तत्वों का जमावड़ा रहता है व अनैतिक कार्यों के साथ-साथ नशापान किया जाता है जिस कारण चिकित्सकों का परिवार भयभीत रहता है। साथ ही निजी एंबुलेंस चालकों के द्वारा सदर अस्पताल में इलाज के लिए आए गरीब मरीजों को बहलाफुसलाकर अपने एंबुलेंस में ले जाने के लिए अनावश्यक दवाब बनाया जाता है व आर्थिक शोषण किया जाता है।