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मौत के खौफ से ज्यादा बड़हरा स्वास्थ्य केन्द्र

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प्रदीप कुमार नायक

मधुबनी /स्वास्थ्य व्यवस्था की हकीकत को देखना है तो आप मधुबनी जिला के बाबूबरही प्रखंड अंतर्गत बड़हरा गांव स्थित एडिशनल स्वास्थ्य केन्द्र ( हेल्थ एंड विलनेस सेंटर ) पर चुपचाप चले जाइए ।जो पिछले कई दशक से जर्जर और टूटे भवन में अपनी लाचारी पर आंसू बहा रहा है ।इस बेहाली और लाचारी के पीछे किसी व्यक्ति विशेष की लापरवाही नहीं है,बल्कि संपूर्ण स्वास्थ्य व्यवस्था की लापरवाही है ।
जी हां,आज बड़हरा गांव स्थित एडिशनल स्वास्थ्य केंद्र के भवन का हाल देखा जाय तो जैसे लगता हैं कि अब गिरा की तब गिरा और इसके अंदर गंदगी के बारे में कहां जाएं तो जैसे लगता है कि संपूर्ण स्वास्थ्य केंद्र ही कचड़ा घर बना पड़ा है

आज मरीज त्राहिमाम की स्थिति से गुजरता रहता है l मरीजों की संख्याओं से बेड की संख्या नहीं के बराबर है । सभी मौसम में मरीजों के साथ अलग अलग समस्या है । गर्मी के मौसम में पंखे की समस्या, खिड़कियों और दरवाजे के कांच टूटे हुए है । पानी और शौचालय की व्यवस्था नदारत है l फिर भी व्यवस्था हाथ पर हाथ रखकर बैठी हुई है ।
समाज सेवा में अपनी सक्रिय भूमिका निभाने वाले बाबूबरही विधानसभा के पूर्व प्रत्याशी मनोज झा ने प्रेस वार्ता कर बताया की जी हां,आज बड़हरा गांव स्थित एडिशनल स्वास्थ्य केंद्र के भवन का हाल देखा जाय तो जैसे लगता हैं कि अब गिरा की तब गिरा और इसके अंदर गंदगी के बारे में कहां जाएं तो जैसे लगता है कि संपूर्ण स्वास्थ्य केंद्र ही कचड़ा घर बना पड़ा है । आज मरीज त्राहिमाम की स्थिति से गुजरता रहता है ।मरीजों की संख्याओं से बेड की संख्या नहीं के बराबर है l सभी मौसम में मरीजों के साथ अलग अलग समस्या है । गर्मी के मौसम में पंखे की समस्या, खिड़कियों और दरवाजे के कांच टूटे हुए है । पानी और शौचालय की व्यवस्था नदारत है । फिर भी व्यवस्था हाथ पर हाथ रखकर बैठी हुई है ।
उन्होंने कहां कि इस जर्जर भवन में अपनी जान को जोखिम में डालकर डॉक्टर मरीजों का इलाज करते है और ग्रामीण भी वहां इलाज करवाने को विवश हैं । दस पंचायत की घनी आबादी के बीच स्थित इस स्वास्थ्य केंद्र पर डॉक्टरों की ठीक से व्यवस्था नहीं के बराबर है , इस स्वास्थ्य केंद्र के पास बहुत अधिक जमीन भी है रजिस्टर में सुविधाओं का को अंबार लगा रहता है,वह सुविधा आम जनता को नहीं मिल पा रहा है ।यहां महिला प्रसव की सुविधा भी नदारत है । जिसके कारण बाहर के निजी चिकित्सालय पर लोगों को निर्भर रहना पड़ता है । जहां ये लोग शोषण और शोषित के शिकार होते रहते हैं । ये जो फर्जी डॉक्टर बड़ा बड़ा बोर्ड लगाकर अपना धंधा चला रहे है । जो कभी क्लिनिक खोलते है तो कभी बंद कर देते है । यह जो खोल बंद का काम कर रहे है इसे सिविल सर्जन तुरंत बंद करे ।उस पर अविल्ब कानूनी कार्रवाई करे । अन्यथा सरकारी अस्पतालों की स्थिति नहीं सुधरी तो शीघ्र ही आंदोलन किया जाएगा ।
जर्जर भवन को ध्वस्त कर नए भवनों का निर्माण करना अति आवश्यक है । खाली जमीन जो कैम्पस के अंदर हो उसमें बागवानी होनी चाहिए । उसी के साथ हरियाली के लिए वृक्षों को लगाना चाहिए । ताकि मरीजों को शुद्ध व प्रचुर मात्रा में आक्सीजन युक्त हवा मिल सके ।
इस प्रकार की समस्याओं को शायद आला अधिकारियों के द्वारा नजर अंदाज किया जाता है ।जैसे लगता हैं कि आला अधिकारी की मिलीभगत है । इस प्रकार की समस्याओं को दूर करने के लिए अब आम लोगों की अपेक्षा सरकार तन्त्र से हैं ।मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मंत्री मंडल के स्वास्थ्य मंत्री को इस पर पहल करने की आवश्यकता है ।
स्वास्थ्य ही वो अलामत हैं जिससे व्यक्ति प्रसन्न एवं सक्रिय रहता है ।स्वस्थ व्यक्ति ही किसी के काम आ सकता है तथा स्वयं के लिए भी कुछ कर सकता है ।

अत:इस पर ध्यान देना व्यक्ति की प्रथम प्राथमिकता है ।लेकिन स्वस्थ रहना इतना आसान नहीं है ।कारण चिकित्सा हमारे देश में क्या पूरे विश्व में बहुत मंहगी है ।जो लोग समर्थ,संपन्न तथा समृद्ध है उनके लिए तो कोई समस्या नहीं है । वे लोग किसी क्लिनिक और नर्सिंग होम्स में तमाम आधुनिक सुविधाओं के साथ अपने- बल के बूते पर चिकित्सा लाभ प्राप्त कर लेते है ।

लेकिन भारत में ऐसे संपन्न एवं समृद्ध लोग कितने प्रतिशत है । यानी बहुत अल्प मात्रा में है ।अधिकांश लोग तो गरीब है, जिन्हें दो वक्त का खाना बहुत ही कठिनाइयों से उपलब्ध हो पाता है ।ऐसे लोगों के पास सरकारी अस्पतालों के सिवा दूसरा कोई विकल्प नहीं होता हैं ।