शिक्षासंस्कृति

भावात्मक और मानसिक जुड़ाव एक अच्छे शिक्षण का आधार बनता

बिहार हलचल न्यूज ,जन जन की आवाज
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News desk

महामारी के कारण देश में पूर्णबंदी लगी तो शिक्षा जगत के सामने कई चुनौतियां खड़ी हो गई शुरू में बच्चों को बंदी बहुत पसंद आई स्कूल और होमवर्क से पीछा छूट गया पर शिक्षा का नया मार्ग भी जल्दी ही प्रशस्त हो गया यह विकल्प था। आनलाइन शिक्षा का यानी शिक्षक कहीं से भी विद्यार्थियों को मोबाइल फोन लैपटाप या डेस्कटाप की सहायता से शिक्षा प्रदान करेगा ।शुरू में यह एक बड़ी चुनौती थी खासकर उन क्षेत्रों के लिए जहां नेटवर्क की अच्छी सुविधा उपलब्ध नहीं है या व विद्यार्थी जिनके पास स्मार्ट फोन या लैपटाप नहीं है । जैसे तैसे स्कूल कालेजों ने ऑनलाइन शिक्षा प्रदान करना आरंभ कर दिया।

परंतु अगर इस ऑनलाइन शिक्षा की गुणवता के आधार पर मूल्यांकन किया जाए तो पाएंगे की विद्यार्थियों की शैक्षणिक उपलब्धि में गिरावट दर्ज की जा रही है ।

क्योंकि हमारे देश में ऑनलाइन शिक्षा को लेकर जागृति बहुत कम है। भारतीय परिवेश में विद्यार्थी और शिक्षक जब तक आमने सामने बैठ कर पढ़ना  न करें तब तक शिक्षा प्रक्रिया को पूरा नहीं माना जाता ।

जहां बच्चा भावात्मक स्तर पर शिक्षक के साथ जुड़ सके और शिक्षण प्रक्रिया में भावात्मक और मानसिक जुड़ाव एक अच्छे शिक्षण का आधार बनता है।हम तकनीकी स्तर पर विकसित हो रहे हैं और इस क्षेत्र में नई उपलब्धियां भी हासिल कर रहे हैं।

ऑनलाइन स्कूली शिक्षा की बात है अभी इसके लिए उन्नत तकनीकी का अभाव महसूस किया जा रहा है। शिक्षाविदों और वैज्ञानिकों को सामूहिक रूप से ऐसी तकनीकी विकसित करने की आवश्यकता है।आर्थिक रूप से मददगार साबित हो उसका बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास में कोई विपरीत प्रभाव न पड़े और एक प्रभावशाली शिक्षण प्रक्रिया का आधार बन सके।