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मनोज झा ने स्वास्थ्य विभाग को लिखा था पत्र

बिहार हलचल न्यूज ,जन जन की आवाज
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प्रदीप कुमार नायक

मधुबनी /सर्वागीन विकास ,सुरक्षा,समाज सेवा तथा समुन्नति के क्षेत्र से जुड़े मधुबनी जिला बाबूबरही विधानसभा के पूर्व प्रत्याशी एवं समाज सेवी मनोज झा ने एक निजी अस्पताल में महिला के साथ हुई अनियमितता को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय ( बिहार सरकार ) के अपर मुख्य सचिव को पत्र लिखा था ।
महिला के साथ हुई अनियमितता की जांच हो शीर्षक देकर प्रकाशित खबर को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने उस अस्पताल पर कार्रवाई शुरू कर दी ,गरीब महिला के नाम पर लापरवाही दिखाने वाले एक निजी अस्पताल के खिलाफ स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह एक्शन मूड में आ गई । सोमवार को स्वास्थ्य विभाग की टीम ने निजी अस्पताल की जॉच की तो इस दौरान जांच टीम द्वारा अस्पताल से ओटी नोट की मांग की गई ।
कहना हैं कि मधुबनी नगर से सटे रांटी रोड स्थित मिथिला नवजीवन अस्पताल में कांको गांव निवासी एक महिला पूनम देवी की रिपोर्ट में 30 जून को हेपेटाइसीस पॉजिटिव बता दिया गया ।जबकि 7 जूलाई को उसी महिला ने दूसरे जांच घर में जांच करवाई तो उसकी रिपोर्ट नेगेटिव आई ।
जहां वे महिला प्रसव कराने पहुंची थी ।वहां कई तरह की जांच बेवजह की गई । उसमे हेपेटाइटिस सी रिपोर्ट पॉजिटिव बताई गई । बाद में महिला की जांच 7 जूलाई को एक दूसरे जांच घर अर्पणा में की गई तो रिपोर्ट नेगेटिव आई ।
मधुबनी के निजी अस्पताल मिथिला नव जीवन में उस महिला का आपरेशन तीन- चार लड़का और एक सफाई कर्मी द्वारा खुली दरवाजे में किया गया l जो एक तरह से अश्लीलता को दर्शाता हैं । जिसपर परिजनों ने इसका पुरजोर विरोध किया था । इसके बाद समाज सेवा में अपनी सक्रिय भूमिका निभाने वाले मनोज झा ने पीड़ित महिला के लिए स्वस्थ्य विभाग से न्याय की मांग एक पत्र देकर कर दी थी l जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग द्वारा जांच किया गया ।इस पर मधुबनी मिथिला नव जीवन अस्पताल के प्रबंधक मनीष रंजन ने कहां कि हमलोगो को पॉजिटिव का रिपोर्ट मिला । इसमें हॉस्पिटल की कोई गलती नही है।l यह पैथोलाजी की जिम्मेदारी हैं,उसने रिपोर्ट दिया ।उसी के आधार पर यहां के डॉक्टर तथा हमलोगों ने काम किया ।
सात दिन के बाद उसने कहीं से जांच करवाया तो उसमें नेगेटिव आया । उन्होंने कहां कि यह तो पैथोलाजी की गड़बड़ी है । यह लैब की गलती है l उन्होंने उसे स्वीकार भी किया है । यह कीट का मामला हैं,तो उसमे ऐसा होता हैं l फिलहाल स्वास्थ्य विभाग द्वारा डॉक्टरों की रिपोर्ट व जांच मांगा गया हैं ।
कितने दुःख की बात है कि जो संस्था रोगियों के रोग दूर करने के लिए स्थापित है और जब वह संस्था स्वयं ही बीमार तथा लापरवाह हो , दलालों के चंगुल में फंस जाय तो फिर क्या होगा ? रोगियों को यह संस्था कैसे निरोगी बनाएगी ? सरकारी और निजी दोनों अस्पताल मौन होते हुए भी चीख और रो रहा हैं । लेकिन इसकी बात न कोई सुनने वाला है और न ही इसकी स्थिति कोई देखने वाला हैं ।