शिक्षासंस्कृति

बसंत पंचमी और सरस्वती पूजन

बिहार हलचल न्यूज ,जन जन की आवाज
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प्रदीप कुमार नायक

भारत एक ऐसा देश है,जिसमें छ ऋतुएं आती है l बसंत इनमें से एक ऐसा ऋतु है जिसे ऋतुओं का राजा कहां जाता है l हमारे देश के त्योहार केवल धार्मिक अवसरों को ध्यान में ही रखकर नहीं मनाएं जाते बल्कि ऋतु परिवर्तन के मौकों को भी पर्व के रूप में स्वागत किया जाता है l ऋतु परिवर्तन का ऐसा ही त्योहार बसंत पंचमी है l यह ऋतु अपने साथ कई परिवर्तन लेकर आती है l कभी सूखी दरकती धरती,तो कभी उसे रिमझिम फुहारों से भिंगोकर मनाने की चेस्टा,कभी शरद की कुनकुनी धूप तो कभी घने कोहरे कभी उदास मन सी उलझी_उलझी यह धरती मानो जैसे जो कुछ भी इंसान के मनमें चल रहा है,वही प्रकृति में भी प्रतिबिंबित हो रहा है बसंत पंचमी के अवसर पर चारों ओर पीली सरसों लहलहाने लगती हैं तथा मानव मन भी खुशी से झूमने लगता है l बसंत पंचमी के दिन से शरद ऋतु की विदाई के साथ पेड़ _ पौधों और प्राणियों में नव जीवन का संचार होता है l सभी लोग गीतों में मद मस्त होकर झूमने लगते है l ये गीत होते है प्रेम के , यौवन की मस्तियों के खिलने के , निखरने के जैसे हरे _भरे खेतों में सरसों के फूल अपनी पीली आभा के साथ मिलों_मिल छितरा जाते हैं l यह बसंत पंचमी के पर्व का अवसर होता है l इस मौसम में कोयलें कुक _कूककर बावरी होने लगती हैं,भौरें इठला _इठलाकर मधुपान करते हैं l
बसंत पंचमी के दिन ज्ञान की अधिष्ठात्रि देवी सरस्वती का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन देवी सरस्वती की पूजा _अर्चना की जाती है। पुरातन युग में ,इस दिन राजा सामंतो के साथ हाथी में बैठकर नगर का भ्रमण करते हुए देवालय पहुंचते थे l वहां विधि पूर्वक कामदेव की पुजा की जाती थी और देवताओं पर अन्न की बालियां चढ़ाई जाती थी l
बसंत पंचमी पर हमारी फसलें गेहूं जौ,चना आदि तैयार हो जाती है l इसलिए इसकी खुशी में हम बसंत पंचमी का त्योहार मनाते है l संध्या के समय बसंत का मेला लगता है जिसमे लोग परस्पर एक _दूसरे के गले से लगकर आपस में स्नेह, मेल _जोल तथा आनंद का प्रदर्शन करते है l कहीं _कहीं पर बसंती रंग की पतंगें उड़ाने का कार्यक्रम बड़ा ही रोचक होता हैं l इस पर्व पर कुछ लोग बसंती कपड़े भी पहनते है और बसंती रंग का भोजन भी करते है तथा मिठाईयां भी बाटते हैं।
ऋतुराज बसंत का बड़ा महत्व है l इसकी छठा निहारकर जड़ _चेतन सभी में अपूर्व उत्साह और आनंद की तरंगे दौड़ने लगती है स्वास्थ्य की दृष्टि से यह ऋतु बड़ी ही उपयुक्त हैं l इस ऋतु में प्रात: काल भ्रमण करने से मन में प्रसन्नता और देह में स्फूर्ति आती है l स्वास्थ्य और स्फूर्तिदायक मन में अच्छे विचार आते हैं। यही कारण है कि इस ऋतु पर सभी कवियों ने अपनी लेखनी चलाई हैं।
हमारे देश के छः ऋतुएं अपना पृथक _पृथक रंग दिखाती हैं l परंतु बसंत ऋतु का अपना अलग अलग एवं विशिष्ट महत्व है। I इसलिए बसंत ऋतुओं का राजा कहलाता हैं। इसमें प्रकृति का सौन्दर्य सभी ऋतुओं से बढ़कर होता हैं। वन _उपवन भांति _भांति के पुष्पों से जगमगा उठते हैं। गुलमोहर, चंपा, सूरजमुखी और गुलाव के पुष्पों के सौन्दर्य को आकर्षित रंग _ बिरंगी तितलियों और मधुमक्खियों के मधुरस पान की होड़ सी लगी रहती है। इनकी सुंदरता देखकर मनुष्य भी खुशी से झूम उठता हैं। विद्यार्थियों के लिए भी यह त्योहार बहुत आनंद दायक होता हैं l
इस पर्व पर विद्यालयों में ज्ञान की देवी सरस्वती की पूजा होती हैं और शिक्षक विद्यार्थियों को विधा का महत्व बताते हैं तथा पूरे उल्लास के साथ पढ़ने की प्रेरणा देते हैं।इस ऋतु में ही बसंत पंचमी,होली,बैसाखी जैसे पर्व आते हैं।