बिहार

कुछ दिनों में पितृपक्ष मेले की होगी शुरुआत

बिहार हलचल न्यूज ,जन जन की आवाज
Listen to this article

न्यूज़ डेस्क 

गया/पुनपुन /बिहार पितृपक्ष का हिन्दू धर्म में बहुत अधिक महत्त्व है।  पितृपक्ष को श्राध पक्ष के भी नाम से जाना जाता है।  पितृपक्ष में पितरों का श्राध और तर्पण किया जाता है।  इस पक्ष में पुरे विधि-विधान से पितरों से सम्बंधित कार्य करने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है।  पितृपक्ष की शुरुआत भाद्र मास के शुक्ल पक्ष के पूर्णिमा तिथि को होता है।  यह आश्विन माह के कृष्ण पक्ष के आमवस्या तिथि तक रहता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पितृपक्ष के दौरान पितरों के कार्य करने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।

banner कुछ दिनों में पितृपक्ष मेले की होगी शुरुआत पितृपक्ष आरंभ और समापन तिथि।

इस साल पितृपक्ष 10 सितम्बर 2022 से आरंभ तथा 25 सितम्बर 2022 को समाप्त हो जाएगा।

पितृपक्ष में मृत्यु की तिथि के अनुसार श्राध किया जाता है इस दिन सर्वपितृ श्राध योग माना जाता है।

किसी सुयोग्य विद्वान ब्राह्मण के जरिए ही श्राद्ध कर्म (पिंड दान, तर्पण) करवाना चाहिए। श्राद्ध कर्म में पूरी श्रद्धा से ब्राह्मणों को तो दान दिया ही जाता है साथ ही यदि किसी गरीब, जरूरतमंद की सहायता भी आप कर सकें तो बहुत पुण्य मिलता है। इसके साथ-साथ गाय, कुत्ते, कौवे आदि पशु-पक्षियों के लिए भी भोजन का एक अंश जरूर डालना चाहिए।यदि संभव हो तो गंगा नदी के किनारे पर श्राद्ध कर्म करवाना चाहिए। यदि यह संभव न हो तो घर पर भी इसे किया जा सकता है। जिस दिन श्राद्ध हो उस दिन ब्राह्मणों को भोज करवाना चाहिए। भोजन के बाद दान दक्षिणा देकर भी उन्हें संतुष्ट करें।

श्राद्ध पूजा दोपहर के समय शुरू करनी चाहिए योग्य ब्राह्मण की सहायता से मंत्रोच्चारण करें और पूजा के पश्चात जल से तर्पण करें। इसके बाद जो भोग लगाया जा रहा है उसमें से गाय, कुत्ते, कौवे आदि का हिस्सा अलग कर देना चाहिए। इन्हें भोजन डालते समय अपने पितरों का स्मरण करना चाहिए।  मन ही मन उनसे श्राद्ध ग्रहण करने का निवेदन करना चाहिए।