नैतिकता नीतियां उद्देश्य देशभक्ति मतदाताओं के प्रति वचनबद्धता बदनामी का डर आदि कोई मायने नहीं
एक बार फिर राजनीति में उबाल आता दिख रहा हैं महाराष्ट्र में विधायक एक पार्टी को छोड़कर दूसरी पार्टी में सत्ता सुख तथा धन दौलत प्राप्त करने के लिए जो कुछ कर रहे हैं । वह राजनीति में न केवल नैतिकता का अंतिम संस्कार है! बल्कि मतदाताओं को धोखा देने वाली बात भी है।मतदाता विभिन्न उम्मीदवारों को अपनी आस्था और विश्वास के अनुसार वोट देते हैं और यह जनप्रतिनिधि अपने राजनीतिक सुख के लिए एक पार्टी को छोड़कर दूसरी पार्टी अपना लेते हैं और मतदाता बेचारे ठगे से रह जाते हैं!ऐसा महाराष्ट्र में पहली बार नहीं हो रहा! इससे पहले भी ऐसे राजनीतिक खेल कई बार खेले जा चुके हैं। जब कभी भी राज्यसभा के लिए विधानसभाओं द्वारा सांसदों का चुनाव होने लगता है ।क्रास वोटिंग के द्वारा एक दल के विधायक दूसरे दल के प्रत्याशी को वोट देकर अपनी पार्टी के साथ गद्दारी करते हैं।
असल में आजकल राजनीति में केवल सत्ता प्राप्त करना ही मुख्य उद्देश्य रह गया है। नैतिकता नीतियां उद्देश्य देशभक्ति मतदाताओं के प्रति वचनबद्धता बदनामी का डर आदि कोई मायने नहीं रखते!असल में होना तो यह चाहिए कि जब कभी भी कोई विधायक या सांसद क्रास वोटिंग करता है या अपने दल को छोड़कर दूसरे दल में प्रवेश करता है । कानूनी तौर पर उसकी विधानसभा या सांसद के तौर पर सदस्यता समाप्त हो जानी चाहिए! तब ही यह राजनीतिक उठापटक खत्म होगी! पर सवाल यह है कि क्या हमारे नेता ही इस प्रकार का कोई कानून पास होने देगें।