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बिहार में मची हलचल,कई नेता दल परिवर्तन करने की तैयारी में

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न्यूज़ डेस्क

देश के उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में से चार राज्यों में भाजपा का पताका लहराने से भगवा के हौसला बुलंद है। पूरे देश में भगवाकरण करने की तैयारी में जुट गई है। भाजपा ने गुजरात सहित पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के साथ  ही लोकसभा 2024 की तैयारी शुरू कर दी है। भाजपा ने 2024 के लोकसभा चुनाव में भगवा का पताका फहराने हेतु कई क्षेत्रीय पार्टी को विलय करने की योजना बनाई है।

उसमें बसपा, जदयू ,लोजपा एवं अन्य दल शामिल बताई जा रही है। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में बसपा सुप्रीमो बहन मायावती पर डोरे डाल कर जड़ मूल्य से समाप्त कर दी गई। यहाँ तक कि बसपा का टिकट बटवारे में भाजपा से राय मशवरा ले कर चुनावी मैदान में उतारा गया ।उन्हें राजनीति में सम्मानजनक पद राष्ट्रपति पद देकर दलित मतों साधने हेतु राजी करा ली गयी और बसपा सुप्रीमो बहन मायावती ने चुनावी दौरे पर मंच से अपने समथर्को को भाजपा को जीताने की अपील की थी। जिससे बसपा को एक या दो सीटों पर सिमट गयी थी। भाजपा ने उन्हें मनाने में सफल हो गयी लेकिन जब उतर प्रदेश में भाजपा नीत योगी की सरकार बनने के बाद मायावती असहज महसूस कर रही है।

इधर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दिल्ली दौरे पर पेशेवर राजनीतिक सलाहकार प्रशांत किशोर से मुलाकात की और पीके ने नीतीश कुमार को राष्ट्रपति पद का उपयुक्त उम्मीदवार बताते हुए समस्त गैर भाजपा पार्टियों से अमल करने की बात कही। सत्ता एवं विपक्षी दलो के नवज टटोलने में लग गये। राजनीतिक विश्लेषक रंजय कुमार का मानना  है कि इस दाव से भाजपा सकते में पड़ते  दिखी क्योंकि नीतीश कुमार एनडीए में रहते हुए चुनाव में सप्रग उम्मीदवार डॉ  प्रणव मुखर्जी के पक्ष में मतदान किया। वही महागठबंधन में रहते हुए लीक से अलग हटकर राष्ट्पति उम्मीदवार रामनाथ कोविंद  के पक्ष में मतदान किया। कमोबेश इन सभी को देखते हुए भाजपा सकते में है ।उधर मायवती की उलझनें बरकरार है। अब वे उपराष्ट्रपति पर भी मान सकती है और अपनी पार्टी बसपा को भाजपा में विलय कर सम्मान जनक पद प्राप्त करने पर राजी हो सकती है।

वही बिहार में नीतीश कुमार को भी राष्ट्रपति पद मिला तो सही नही तो  उपराष्ट्रपति पद के लिए  मान सकते हैं। क्योंकि भाजपा ने उन पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है ।हर हाल में मुख्यमंत्री का कुर्सी छोड़ना पड़  सकता है। वही नीतीश कुमार के माथे पर कितने घोटाले और मडर केस का भय सता रहा है। इन सबको देखते हुए नीतीश कुमार अंततः उपराष्ट्रपति पर मान सकते हैं और पाटी को विलय कर भगवाकरण कर सकते हैं। भाजपा ने पहले बिहार में लोजपा सुप्रिमो रामविलास पासवान पर भी पार्टी को भाजपा में विलय करने का दबाव बनाया था। लेकिन कामयाब नहीं हुआ ।उनके मृत्यु के बाद एक साजिश के तहत पार्टी को तोड़ कर दोभागों  में बांट कर कमज़ोर कर दी गई। अब पशुपति पारस को कभी भी पार्टी में विलय कराया जा सकता है। जिस तरह से वीआईपी के मुकेश साहनी के तीन विधायकों को तोड़कर  भाजपा में मिला लिया गया ।अब हम पार्टी के सुप्रिमो जीतन राम मांझी को पार्टी में विलय की बात चल रही हैं ।उन्हें  राज्यसभा के  रास्ते को दिखाकर भगवाकरण किया जा सकता है ।राष्ट्पति  का चुनाव जुलाई माह अंत होना तय है ।वैसे में एकाएक केन्द्रीय मंत्री बिना सूचना के मुख्यमंत्री से मिलकर सबको सकते में डाल दिया।इस मिलन को राष्ट्रपति के चुनाव से देखा जा रहा है क्योंकि राष्ट्रपति चुनाव में बिहार के मतो का मुल्य काफी महत्वपूर्ण है। वही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विधानसभा के चलते सत्र  में राज्यसभा जाने की इक्छा  जताई थी। उसी समय तय हो गया था कि वे मुख्यमंत्री के कुर्सी त्याग कर सम्मान जनक पद प्राप्त कर इतिहास बना सकते हैं।