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समय और तकनीक के बदल जाने से अब परंपरागत खेल हो रहे गुम

बिहार हलचल न्यूज ,जन जन की आवाज
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सेंट्रल डेस्क

आनलाइन गेम और वीडियो गेम के जाल में खत्म हो रहा बच्चो और युवाओं का जीवन।

गेम बच्चों के खान पान पहनावे और व्यवहार को भी कर रहे प्रभावित।समय और तकनीक के बदलते जाने से अब परंपरागत खेल उनसे जुड़े गीत प्रसंग भूलते जा रहे हैं आज पूरी दुनिया में किशोर उम्र के बच्चे धीरे धीरे इंटरनेट आधारित आनलाइन गेम और वीडियो गेम के जाल उलझ चुके हैं! युवाओं की एक बड़ी संख्या औसतन तीन से चार घंटे आनलाइन गेम खेलती है और इसमें स्कूल कालेज इंजीनियरिंग या चिकित्सा की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थी भी शामिल हैं।कुछ दशक पहले में वीडियो गेम की शुरुआत कुछ विद्यार्थियों ने की थी फिर एटीएम की तरह की मशीनें आई जिनमें सिक्के डाल कर एक दो मिनट के खेल खेले जा सकते थे तब इस गेम को खेलने के लिए अतिरिक्त संसाधन समय और विशेष प्रयोजन करने पड़ते थे लेकिन आज तकनीक के विस्तार ने आनलाइन खेल को मोबाइल कंप्यूटर के जरिये स्कूल से लेकर घर तक प्रवेश करा दिया है ।अब बच्चे कमरे में बैठ कर फुटबाल को भी आनलाइन ही खेल रहे हैं! युवाओं के बढ़ते आकर्षण के चलते हजारों लाखों डालर का निवेश करके सैकड़ों कंपनियां अपने अपने आनलाइन गेम को लेकर बाजार में उतार रही हैं।तकनीक के विस्तार के साथ इक्कीसवीं सदी में इस तरह के खेल दुनिया के एक बड़े व्यापार में बदल रहे हैं! मोबाइल कंपनियां भी 5 जी नेटवर्क के साथ गेम के लिए नए मोबाइल फोन और लैपटाप लाने की योजना पर कार्य कर रही हैं! यों अधिकतर गेम फ्री डाउन लोड वाले होते हैं ।लेकिन उसके पीछे पेशेवर लोगों की पूरी एक टीम काम करती है।