संस्कृति

यकीन मानिए व्यक्तित्व बदल जाएगा

बिहार हलचल न्यूज ,जन जन की आवाज
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उप संपादक

कहते हैं पढ़ने लिखने की कोई उम्र नहीं होती है यह इच्छाशक्ति पर निर्भर करती है ,खाली समय में गप्पें मारने से अच्छा है कुछ अच्छी कहानियां कविताएं पढ़ें देश दुनिया के इतिहास भूगोल को जानें यकीन मानिए व्यक्तित्व बदल जाएगा।  पढ़ाई लिखाई के क्षेत्र में हैं चाहे व शिक्षक, प्रोफेसर, डाक्टर, अभियंता ,पत्रकार साहित्यकार ,राजनीतिक, सामाजिक कार्यकर्ता आदि हों उनके सोचने रहने के तरीके आम लोगों से अलग होते हैं। दिन भर काम करने के बाद भी एक दो घंटे पढ़े जा सकते हैं ।मानव के विराट हृदय होना चाहिए और यह विराट तभी होगा जब पढ़ेंगे। दुनिया में जितने भी क्रांति बदलाव हुए हैं व सभी पढ़े लिखों ने ही किए हैं।

क्रांति का मतलब हिंसा नहीं होता बल्कि बौद्धिक क्षमता चेतना जागृति होता है।अब पढ़ने के लिए इंटरनेट है किसी भी मनचाहे विषय को खोज कर पढ़ सकते हैं। जब खुद में ज्ञान की ज्योति जलेगी तो दूसरे भी प्रभावित होते हैं। हम जितना धन और मेहनत बाहरी दिखावट के लिए करते हैं उसका कुछ अंश भी ज्ञान अर्जन के लिए कर दें जीवन धन्य हो जाएगा। बच्चों को अच्छे स्कूल में दाखिला दिला कर अभिवाहक अपने कर्तव्यों को इतिश्री समझ लेते हैं और खुद कहीं और मस्त हो जाते हैं।खाली समय में गीत संगीत कोई वाद्य यंत्र बजाने के लिए भी सीख सकते हैं जीवन से नीरसता खत्म हो जाएगी बिना रस का जीवन नीरस हो जाता है और फिर रस के लिए सोम रस आदि का अभ्यस्त हो जाते हैं।