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दाखिल-खारिज में सीओ की मनमानी पर लगेगा अंकुश: मंत्री

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राजकुमार यादव की रिपोर्ट

पटना/ राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने जमीन के म्युटेशन के लंबित मामलों को शून्य करने का आदेश अधिकारियों को दिया है। विभागीय मंत्री आलोक कुमार मेहता ने निर्देश दिया है कि म्युटेशन के अस्वीकृत मामलों की समीक्षा की जाए। मंत्री ने एक अंचल कार्यालय का जिक्र करते हुए कहा कि वहां म्युटेशन के अस्वीकृत मामलों को पुन स्वीकृत कर दिया गया। कहा कि अंचल कार्यालय में दाखिलखारिज के अस्वीकृत मामलों को भूमि सुधार उप समाहर्ता के कोर्ट में अपील करने का प्रावधान है। किंतु यह देखा जा रहा है कि सीओ के स्तर से अस्वीकृत मामले का आवेदन दोबारा उसी न्यायालय में दे दिया जाता है और दुबारा उसका निष्पादन भी कर दिया जाता है। अंचल कार्यालय के स्तर से यह बड़ी गड़बड़ी है। मंत्री ने कहा कि ऐसा नहीं हो इसके लिए अपर समाहर्ता अपने स्तर से म्युटेशन के मामलों की समीक्षा करें। माना जा रहा है कि यह कवायद दाखिल -खारिज में सीओ की मनमानी पर अंकुश लगाने के लिए है।

मंत्री ने निर्देश दिया कि म्युटेशन के लंबित मामलों मामलों के निष्पादन में अनावश्यक देर नहीं हो। जिन मामलों में कोई आपत्ति नहीं है, उनका निपटारा समय सीमा में किया जाए। ऐसे मामलों को उन मामलों से अलग किया जाना चाहिए जो विवादित हैं या जिनपर आपत्ति है। सदर अंचलों खासकर -पटना सदर, मधेपुरा सदर जैसे अंचलों में म्युटेशन के काफी मामले लंबित हैं। इनका निपटारा जल्द किया जाए। म्युटेशन के जो मामले अस्वीकृत हो रहे हैं, उनकी वजह सही है या नहीं, इसकी भी पड़ताल होनी चाहिए। अंचलकर्मी म्युटेशन को निरस्त करने के कारणों का स्पष्ट उल्लेख करेंगे ताकि विभाग के स्तर से उनकी समीक्षा हो सके। बैठक में सभी 38 जिलों के अपर समाहर्ताओं के अलावा निदेशक भू-अर्जन सुशील कुमार, संयुक्त सचिव कंचन कपूर भी मौजूद थे।

57 अंचलाधिकारियों पर कार्रवाई के मामले अपर समाहर्ता स्तर पर लंबित

विभाग के अपर मुख्य सचिव ब्रजेश् मेहरोत्रा ने कहा कि कई सीओ पर अनियमितता के मामलों में विभागीय कार्रवाई के ढेरों मामले विभिन्न जिलों के अपर समाहर्ता के स्तर पर लंबित हैं। इस तरह के 57 मामले हैं जबकि कुल 28 मामले ऐसे हैं जिनपर जिले का स्पष्ट मंतव्य अप्राप्त है। इससे सरकारी अधिकारियों खासकर अंचल अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई संचालित करने में कठिनाई हो रही है। विभागीय कार्रवाईयों का संचालन ठीक से नहीं करने के कारण हाईकोर्ट में हमारा पक्ष कमजोर हो जाता है। अपर मुख्य सचिव ने कर्मचारियों के खाली पदों का ब्योरा भी विभाग में शीघ्र भेजने का निर्देश दिया

 

 

राजस्व मंत्री ने कहा कि पहले पुनर्वास (रिहैबिलेटेशन) फिर अतिक्रमित स्थल खाली (वैकेशन) की बात हो। हाल के दिनों में यह बात देखने में आई है कि अतिक्रमण हटाने के दौरान गृहविहीन हो रहे लोगों के लिए सरकारी अधिकारी वैकल्पिक आवास की व्यवस्था नहीं करते हैं। सरकारी जमीन के मामलों खासकर जल जीवन हरियाली अभियान को प्रभावित करनेवाले केसेज और कोर्ट के आदेशों के अनुपालन में बगैर वैकल्पिक व्यवस्था किए बेदखल करने के कई मामले प्रकाश में आए हैं। इससे विभाग की बदनामी हो रही है। ये बातें राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री आलोक कुमार मेहता ने मंगलवार को कही। मेहता अपर समाहर्ताओं की राज्य स्तरीय बैठक को संबोधित कर रहे थे।