कृषिबिहार

करोड़ों की सिंचाई योजनाएं विभागीय धरोहर बनकर रह गई हैं

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अमरनाथ यादव की रिपोर्ट 

मधुबनी/लदनियां प्रखंड क्षेत्र में करोड़ों की लागत से स्थापित सिंचाई योजनाएं बेकार पड़ी हैं। इन योजनाओं में 1980 के दसक में हुए ग्रामीण विद्युतीकरण के बाद त्रिशूला नदी के किनारे लगी लिफ्ट सिंचाई योजनाएं, पंचायतों में लगे स्टेट बोरिंग व दो नदियों पर बने बाराज शामिल हैं। 1990 के दशक में ग्रामीण वद्युतीकरण की स्थिति के लचर होने के साथ ही जहां विद्युत संचालित लिफ्ट एरीगेशन व स्टेट बोरिंग बंद होते चले गए वहीं निर्माण में हुई तकनीकी भूल के कारण दोनों बाराज की नहरें किसानों को जरूरत के अनुसार पानी नहीं दे सकीं।

banner jjj page 0001 1 करोड़ों की सिंचाई योजनाएं विभागीय धरोहर बनकर रह गई हैं2000 ई. के बाद ग्रामीण क्षेत्रों का विद्युतीकरण पुन: प्रारंभ हुआ, लेकिन बिजली संचालित इन लिफ्ट व स्टेट बोरिंगों को चालू नहीं किया जा सका। बंद पड़े 14 स्टेट बोरिंगों में दो पानी दे रहा है, शेष 12 बोरिंग वर्षों से बंद पड़े हैं।सरकार ने इन लाभकारी योजनाओं को चालू करने के लिए ढाई वर्ष पूर्व संबंधित पंचायतों के मुखियों को चालू कराने की जवाबदेही दी थी। लेकिन लाखों की राशि के खर्चे के बाद भी इन बंद पड़े स्टेट बोरिंगों को चालू नहीं किया जा सका है। त्रिशूला व मुनहरा नदी पर बने बाराज की नहर की खुदाई के नाम पर पानी की तरह पैसा बहाया गया, लेकिन अव्यवस्थित इन नहरों में किसानों की जरूरत के हिसाब से पानी नहीं बह सका। बाराज निर्माण में बरती गई तकनीकी गड़बड़ी के कारण नहर की जगह मूल नदी में पानी बह जाता है।

office page0001 1 करोड़ों की सिंचाई योजनाएं विभागीय धरोहर बनकर रह गई हैं
कृषि क्षेत्र में मानक उपभोक्ता के बाद भी बधारों में बिजली नहीं पहुंची है। लोग डीजल संचालित निजी बोरिंग पम्पसेट से सिंचाई करते आ रहे हैं। मंहगे डीजल के कारण सरकार डीजल अनुदान देती आ रही है, जिसका लाभ किसानों को नियमित नहीं मिल रहा है। मंहगे खाद-बीज, सिंचाई, निकौनी, कीटनाशी स्प्रे के कारण किसानों की खेती घाटे में चल रही है।  किसानों की माली हालत चिंताजनक बनी हुई है। यही कारण है कि किसानों की रुचि खेती से घटती जा रही है।