जमीन नहीं मिली,पावर सब स्टेशन की योजना वापस शहर में 7 करोड़ की लागत से बनना था पावर सब स्टेशन ।।2.जिले के सीमावर्ती प्रखंडों में सौ आंगनबाड़ी केंद्रों का होगा निर्माण।।
रिपोर्ट-सुरेश कुमार गुप्ता
मधुबनी / मधुबनी के दो साल तक शहर व उसके आसपास जमीन खोजने के बाद भी नहीं मिली शहर में जमीन नहीं मिलने के कारण नये पावर सब स्टेशन बनाने की योजना विभाग द्वारा वापस कर दी गयी है। करीब 7 करोड़ की लागत से शहर में नये पावर सब स्टेशन निर्माण की स्वीकृति आईपीडीएस योजना के तहत मिली थी। करीब दो साल तक बिजली विभाग शहर एवं उसके आसपास नये पावर सब स्टेशन निर्माण के लिए जमीन की तलाश कर रही थी। लेकिन जमीन नहीं मिली। ऐसे में विभाग ने समय पर काम पूरा नहीं होने पर भारत सरकार द्वारा लगाये जाने वाले जुर्माना से बचने के लिए योजना को वापस कर दिया। अब नये प्रोजेक्ट आने पर ही शहर में दूसरे नये पावर सब स्टेशन का निर्माण संभव है। पिछले करीब दो साल से अधिक समय तक नार्थबिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी के अभियंता शहर के उत्तरी भाग में सरकारी जमीन की तलाश करती रही। लेकिन पावर सब स्टेशन निर्माण के लिए जमीन नहीं मिली। जबकि शहर की आबादी बढ़ने के साथ ही दूसरे पावर सब स्टेशन निर्माण की जरूरत महसूस की जा रही है। इसको लेकर शहर के उत्तरी भाग के लहेरियागंज, मंगरौनी, जितवारपुर , हरिनगर, आमादा आदि जगहों पर विभाग नया पावर सब स्टेशन के लिए सरकारी जमीन की तलाश करती रही।एक सब स्टेशन पर है 27 हजार उपभोक्ताओं का लोड
अभी शहर के एकमात्र पावर सब स्टेशन पर करीब 27 हजार उपभोक्ताओं का लोड है। लोड कम करने के लिए विभाग ने शहर के उत्तरी क्षेत्र के संतुनगर सहित कई मोहल्लों को लोहा पावर सब स्टेशन के सौराठ फीडर से जोड़ रखा है। फिर भी समस्या का स्थाई समाधान नहीं हो रहा है। विभाग के अभियंताओं को चिंता है कि ठंड में तो बिजली आपूर्ति में परेशानी नहीं हुई। लेकिन गर्मी बढ़ने पर परेशानी बढ़ सकती है। गर्मी में लोड बढ़ने पर फ्यूज अधिक उडे़गा।
आईपीडीएस योजना के तहत शहर में नया पावर सब स्टेशन स्वीकृत हुआ था। लेकिन जमीन नहीं मिलने के कारण योजना कोविडकाल में ही वापस कर दिया गया।
2.जिले के सीमावर्ती प्रखंडों में सौ आंगनबाड़ी केंद्रों का होगा निर्माण
मधुबनी जिले में कुल 1846 आंगनबाड़ी केन्द्र किराये के भवन में संचालित हो रहे हैं। फिलहाल जिले में कुल 4778 आंगनबाड़ी केन्द्र संचालित हैं। इनमें से सिर्फ 2932 केन्द्रों को सरकारी भवन नसीब है। कई जगहों पर सामुदायिक भवन या किराये के भवन में केन्द्र चलता है, जहां पर नौनिहालों के हेल्थ और हाइजीन का ख्याल नहीं रखा जाता।
5145 आंगनबाड़ी केन्द्र हैं स्वीकृत: जिले में 5145 आंगनबाड़ी केन्द्र स्वीकृत हैं। पर इनमें से अस्तित्व में सिर्फ 4778 केन्द्र ही हैं। शेष 367 केन्द्र या तो बंद हैं, या फिर वहां पर बहाली की प्रक्रिया पूरी नहीं होने की वजह से अटकी पड़ी है। फिलहाल विभाग में 4778 सेविका और सिर्फ 4302 सहायिका कार्यरत हैं।
सीमा से लगे प्रखंडों में कुल 100 मॉडल आंगनबाड़ी केन्द्र का निर्माण कराने संबधी प्रस्ताव मिला है। हर भवन के निर्माण कार्य पर करीब 11 लाख रुपये खर्च किए जाएंगे। भवन के लिए भूमि का चयन होते ही निर्माण कार्य शुरू होने की उम्मीद है।
शोभा सिन्हा, डीपीओ, आईसीडीएस, मधुबनी।
मधुबनी जिले के सीमावर्ती प्रखंडों में सौ आंगनबाड़ी केन्द्रों का निर्माण होगा। आंगनबाड़ी भवन निर्माण पर करीब 11 करोड़ की राशि खर्च होगी। प्रति केन्द्र के निर्माण पर करीब 11 लाख रुपये खर्च किए जाएंगे।
जिले के हरलाखी, मधवापुर, जयनगर, लदनियां, लौकही और खुटौना सीमावर्ती क्षेत्रों में 100 आंगनबाड़ी केन्द्र बनाने के लिए भूमि चयन का निर्देश मिला है। संबंधित प्रखंड की सीडीपीओ जमीन की तलाश करेंगी। सीमावर्ती क्षेत्र विकास योजना से आंगनबाड़ी केन्द्र के भवनों का निर्माण कराया जाएगा।
प्राप्त जानकारी के मुताविक सीमा से लगे 10 किलोमीटर के दायरे में इन केन्द्रों के लिए जमीन का चयन किया जाना है। आईसीडीएस की डीपीओ शोभा सिन्हा ने बताया कि यह सिर्फ इंडो-नेपाल सीमा से लगे प्रखंडों में 100 आंगनबाड़ी केन्द्र के भवन का निर्माण कराया जाना है। योजना विभाग की ओर से इसे क्रियान्वित कराया जाएगा।
भवन के आकार और उनकी क्षमता के लिए नक्शा भी तैयार हो चुका है। जैसे ही सीडीपीओ अपने प्रखंड में सरकारी जमीन की तलाश कर एनओसी करवा लेती हैं। उन जगहों पर भवन निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा। भवन बनते ही केन्द्र नये भवन में शिफ्ट कर दिया जाएगा। नये भवनों में कई सुविधाएं बढ़ायी जाएंगी। इसमें नौनिहालों के स्वास्थ्य का पूरा-पूरा ख्याल रखा जाएगा।