बिहार

कोशी सफारी इको टूरिज्म के तहत प्रकृति की खोज

बिहार हलचल न्यूज ,जन जन की आवाज
Listen to this article

सुपौल से प्रमोद यादव

 

कोशी सफारी इको टूरिज्म के तहत प्रकृति की खोज सुपौल जिला के साहेबान से कोशी महासेतु तक इको टूरिज्म के तहत सुपौल की प्रकृति को नजदीक से देखने समझने का प्रयास करने की शुरुआत किया जाना है । सुपौल में कोशी नदी अपने देश की धारा पर उतरती है। हमारे जीवन की कई लाभकारी गतिविधियों के लिए अनछुए पहलुओं से परिचय करते हुए आगे चलकर मां गंगा में समा जाती है । कोशी अपने साथ अठखेलियां करती डॉल्फिन (सोस) से परिचय कराती है ।उप जाने के लिए पाने, खाने को मछली, पानी साफ रखने कछुआ, कीट पतंगों को चट करने वाली कई प्रकार की चिड़ियों को दामन में समा कर कल कल निरंतर बढ़ती रहती है। हम कोशी के कई पहलुओं से अनजान अपने रोजमर्रा जीवन में व्यस्त और बेपरवाह रहे हैं । अपने व्यस्त जीवन से कुछ पल को प्रकृति को देखने और इन्हें समझने के लिए एक प्रयास की शुरुआत की जा रही है। यह हमें मानसिक शांति एवं विस्मित करेगा,ऐसा हमें पूरा विश्वास है।
क्या आप जानते है:-
कोशी नदी में सुपौल जिला की सीमा क्षेत्र में मार्च 2021 में गणना अनुसार कुल 80 डॉल्फिन (सोस) प्रत्यक्ष रूप में देखा गया है। कोशी नदी में कुल 3 तरह के कछुआ देखे जा सके हैं। परंतु नदी की संरचना एवं वायुमंडल अनुसार कम से कम 6 तरह के होने की संभावना है। लालसर पक्षी में बहुत आती है। कोशी नदी में लगभग 115 तरह के पक्षियों को पहचाना जा सका है। जिसमें एक लंबी धनुषकार चोच वाला कलयुर पक्षी भी है । जो विलुप्त होने के कगार पर है। ऐसी ना जाने कितने जैव विविधता को समेटे कोशी नदी में बह रही है। इन्हें समझाने एवं नजदीक से महसूस करने हेतु कोशी सफारी में शामिल होने का निमंत्रण इको टूरिज्म तहत पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग दुवारा दी जा रही है।उक्त जानकारी सुनील शरण जिला वन पदाधिकारी सुपौल ने दी।