बिहार विधान परिषद् में ‘वंदे मातरम्’ भारत के राष्ट्रीय गीत की 150वीं वर्षगांठ मनाई
बिहार विधान परिषद् में ‘वंदे मातरम्’ भारत के राष्ट्रीय गीत की 150वीं वर्षगांठ मनाई गई। बिहार विधान परिषद् के सचिव श्री अखिलेश कुमार झा सहित पदाधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा वंदे मातरम गीत का सामूहिक गायन प्रस्तुत किया गया।
बंकिम चंद्र चटर्जी द्वारा रचित वंदे मातरम् आज के हीं दिन पहली बार 07 नवम्बर, 1875 को साहित्यिक पत्रिका बंगदर्शन में प्रकाशित की गई थी। बाद में इसे 1882 में बंकिम चंद्र चटर्जी के उपन्यास आनंद मठ में प्रकाशित किया गया। पहली बार 1896 के कोलकता अधिवेशन में रविन्द्र नाथ ठाकुर ने इसे संगीत के सूरों में पिरोया था। 1905 में बंगाल विभाजन और स्वदेशी आंदोलन के दौरान इस गीत ने भारतीयों में एकता और स्वतंत्रता की भावना जगाई। देश की स्वतंत्रता के अहम किरदारों में एक मैडम भीकाजी कामा ने 1907 में पहली बार भारत के बाहर स्टटगार्ट बर्लिन में तिरंगा झंडा फहराया था, जिस पर वंदे मातरम् लिखा था। 24 जनवरी, 1950 को इसे राष्ट्रीय गीत के तौर पर स्वीकार किया गया। आज भी वंदे मातरम् देश के प्रति गर्व, प्रेम और समर्पण की याद दिलाता है। यह गीत आज भी हर भारतीय के दिल में उत्साह और देशभक्ति की प्रेरणा देता है जिसे हम गाते हैं।

