बिहार

जनता के आन्दोलनों के वगैर कोई भी समस्या का समाधाने संभव नहीं है चूंकि सरकारें अब निरंकुश हो गई है : सुदामा प्रसाद (सांसद)

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पटना/अखिल भारतीय किसान महासभा बिहार राज्य परिषद की बैठक (7 – 8 अप्रैल 2025 बेतिया से लौट कर आज पटना में अखिल भारतीय किसान महासभा के बिहार राज्य सचिव ने प्रेस से बात करते हुए कहा कि अखिल भारतीय किसान महासभा की राज्य परिषद ने अपने बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय किया है।पहला तो अखिल भारतीय किसान महासभा अपने स्थापना दिवस और प्रथम स्वतंत्रता संग्राम दिवस 10 मई 2025 को बिहार के सभी जिला मुख्यालय,अनुमंडल और प्रखंड मुख्यालय पर विरोध प्रदर्शन आयोजित कर *कृषि विपणन पर राष्ट्रीय नीति* को वापस करने,*बलपूर्वक कृषि भूमिअधिग्रहण पर रोक लगाने 2013 के कानून के मुताबिक समुचित मुआवजा* देने,*कृषि भूमि लूट की नीयत से विशेष भूमि सर्वेक्षण कार्य पर रोक लगाने*, सिंचाई का समुचित प्रबंध के साथ खेती किसानी से जुड़े अन्य स्थानीय मांगों को सरकार के सामने उठाया जाएगा।
उमेश सिंह ने बताया कि परिषद के उदघाटन सत्र को संबोधित करते हुए महासचिव कॉमरेड राजा राम सिंह ने कहा कि हमारी खेत खेती और फसल को मोदी सरकार पहले तीन काले कृषि कानूनों के जरिए और अब कृषि विपणन पर राष्ट्रीय नीति प्रस्ताव के जरिए हमसे छीन कर कारपोरेट को दे देना चाहती है।किसान इसे कत्तई बर्दाश्त नहीं करेंगे और तीनों काले कानूनों की तरह हर हाल में कृषि विपणन पर राष्ट्रीय नीति प्रस्ताव को भी वापस लेना ही होगा।
बैठक के दूसरे दिन राष्ट्रीय संगठन सचिव व सांसद कॉमरेड सुदामा प्रसाद ने संबोधित करते हुए कहा कि भाजपा की मोदी सरकार पहले हमारी खेती में मिलने वाली सभी सुविधाओं को समाप्त कर उसे घाटे का कार्य बना दिया, फिर कानून के सहारे खेत – खेती फसल पर कारपोरेट का कब्जा दिला देना चाहती है। जिसके कारण हम किसान अब तक के इतिहास में सबसे संकट के दौर से गुजर रहे है। इसलिए कृषि को बचाने के लिए फसल पर टी -2+50% के साथ एम एस पी की कानूनी गारंटी, खाद्य सुरक्षा, संपूर्ण कर्ज माफी, कृषि मंडियों की पुनर्बहाली, सिंचाई हेतु मुफ्त बिजली, सिंचाई संसाधनों का जीर्णोद्धार व नए का निर्माण, बाढ़ सुखाड़ का स्थाई प्रबंध करने आदि मांगों पर संघर्ष को तेज करने के आह्वान करते हुए कहा कि आज जनता के आंदोलनों के बगैर कोई भी समस्या का समाधान संभव नहीं है चुकी सरकारें अब निरंकुश और फासिस्ट हो चुकी हैं।
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व विधायक अरूण सिंह ने कहा कि सिंचाई के बिना खेती की परिकल्पना भी नहीं की जा सकती है। आज के आधुनिक समय में भी हमारी खेती प्रकृति पर पूर्णतः निर्भर है। अतीत में बिहार में जो भी सिंचाई संसाधन थे, वे सभी सरकारी उदासीनता के कारण मृत प्राय हो चुके हैं। सभी सरकारी नलकूप बंद पड़े है। डीजल और बिजली काफी महंगी है। आगे कहा कि भाजपा के नफरत और विभाजन राजनीति पर किसानों के हर सवालों पर आंदोलन को मजबूती से खड़ा कर ही लगाम लगा सकते हैं।
अखिल भारतीय किसान महासभा राज्य सचिव उमेश सिंह ने कहा कि 20 वर्षों से नीतीश बाबू बिहार की सत्ता पर कायम है। इन्होंने भी कृषि विकास की लंबी चौरी बातें कर अब तक चार कृषि रोड मैप जारी कर चुके हैं, लेकिन सिंचाई के मामले में इनका रोड मैप टांय टाय फिस साबित हो चुके हैं। सत्ता में आते ही नीतीश बाबू ने अपना किसान व कृषि विरोधी चरित्र को दिखाते हुए बिहार में ए पी एम सी एक्ट को समाप्त कर कृषि मंडियों को बंद कर दिए थे और हम किसानों को मुनाफाखोर व्यापारियों के आगोश में धकेल दिया था। तब से आज तक एपीएमसी एक्ट की पुनर्बहाली व कृषि मंडियों को चालू करने के लिए आवाज उठा रहे हैं लेकिन ये कान में तेल डाल कर सोए हैं और अपने को किसानों की हिमायती बताने में नहीं चूकते हैं।
उन्होंने मजबूती से कहा कि अमेरिकी कृषि जात वस्तुओं पर विशेष छूट बर्दाश्त नहीं

बैठक की अध्यक्षता पूर्व विधायक चंद्रदीप सिंह के नेतृत्व में पांच सदस्यीय अध्यक्ष मंडल ने की और संचालन बिहार राज्य सचिव उमेश सिंह ने किया।
बैठक ने निर्णय लिया कि बिहार में किसान महासभा को मजबूत करने आंदोलन को तेज करने के लिया 300000 तीन लाख किसानों को किसान महासभा का सदस्य बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया साथ ही मई महीने में 150 प्रखंड और 30 जिला सम्मेलन कर संगठन को मजबूत और धारदार बनायेंगे।