कब है आस्था का महापर्व छठ .किस दिन नहाए .खाए और
यह पर्व चार दिनों तक चलता है, जिसकी शुरुआत नहाय-खाय से होती है और इसका समापन उगते सूर्यदेव को अर्घ्य देने का साथ होता है।छठ महापर्व को कई नामों से जाना जाता है जैसे सूर्य षष्ठी, छठ, छठी और डाला छठ.महिलाएं छठ पर्व पर 36 घंटे का निर्जला व्रत घर की खुशहाली और संतान की सलामती के लिए रखती हैं।पुरुष भी छठ व्रत को रखते हैं। छठ महापर्व में सूर्यदेव और छठी मैया की पूजा-अर्चना की जाती है।वैसे तो छठ पर्व मुख्य रूप से बिहार, झारखंड और पूर्वांचल का है, लेकिन अब ये त्योहार वैश्विक स्तर पर मनाया जाने लगा है।
हर साल इस तिथि को मनाया जाता है महापर्व छठ
महापर्व छठ को हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से लेकर सप्तमी तिथि तक मनाया जाता है।इस साल छठ पूजा की तिथि को लेकर कई श्रद्धालु कंफ्यूजन की स्थिति में है कि आखिर इस पर्व की शुरुआत किस दिन से हो रही है ।आइए हम आपको बता रहे हैं कि किस दिन नहाय-खाय होगा और किस दिन खरना होगा। किस दिन डूबते सूर्यदेव को और किस दिन उगते भास्कर को अर्घ्य दिया जाएगा।
छठ पूजा 2024 का शुभ मुहूर्त
छठ पूजा हर साल दिवाली के 6 दिन बाद की जाती है। पंचांग के अनुसार इस साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि 7 नवंबर 2024 को देररात 12:41 बजे शुरू होगी और 8 नवंबर 2024 को देर रात 12:34 बजे इसका समापन होगा. ऐसे में 7 नवंबर दिन गुरुवार को संध्याकाल का अर्घ्य दिया जाएगा।इसके अगले दिन 8 नवंबर दिन शुक्रवार को सुबह का अर्घ्य दिया जाएगा।
1. पहला दिन: 5 नवंबर 2024, नहाय-खाय।
2. दूसरा दिन: 6 नवंबर 2024, खरना।
3. तीसरा दिन: 7 नवंबर 2024, डूबते सूर्यदेव को संध्या अर्घ्य ।
4. चौथा दिन: 8 नवंबर 2024, उगते सूर्यदेव को अर्घ्य ।
1. नहाय-खाय।
छठ पूजा की शुरुआत नहाय-खाय से होती है. पंचांग के अनुसार नहाय-खाय कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थि तिथि पर किया जाता है।इस साल 5 नवंबर दिन मंगलवार को नहाय-खाय है. इस दिन छठ करने वाली महिलाएं या पुरुष गंगा या अन्य किसी पवित्र नदी में स्नान और ध्यान के बाद सूर्यदेव की पूजा करते हैं। इसके बाद घर में बिना लहसुन और प्याज के खाना बनाया जाता है. नहाय-खाय वाले दिन घीया और चने की दाल से भोजन बनाया जाता है।
2. खरना
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को खरना मनाया जाता है। इस दिन व्रत रखने वाली महिलाएं गंगा या अन्य किसी पवित्र नदी में स्नान और ध्यान के बाद सूर्यदेव और छठी मैया की पूजा करती हैं।खरना के दिन पूरे दिन महिलाएं निर्जला उपवास रहती हैं. शाम के समय गुड़ की खीर बनाई जाती है।इस खीर को रोटी पर रखकर भगवान को अर्पित किया जाता है. इसके बाद व्रत करने वाली महिलाएं इसे खाती हैं।इस खीर को प्रसाद के रूप में भी बांटा जाता है. इसी के बाद से 36 घंटे का निर्जला छठ व्रत शुरू हो जाता है. इस साल खरना 6 नवंबर दिन बुधवार को है।
4. संध्या अर्घ्य
कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इस साल 7 नवंबर को डूबते सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाएगा।संध्या अर्घ्य के दिन व्रती श्रद्धालु सूर्यास्त के समय नदी, तालाब या किसी भी जगह पानी में स्नान करने बाद डूबते हुए सूर्यदेव को अर्घ्य देते हैं।
5. उगते हुए भगवान भास्कर को अर्घ्य
संध्या अर्घ्य के दूसरे दिन सुबह उगते हुए भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया जाता है। इसके साथ ही छठ पूजा की समाप्ति हो जाती है. इस अर्घ्य को देने के बाद व्रती पारण करते हैं।छठ घाट पर उपस्थित लोगों को छठ का विशेष प्रसाद जिसे ठेकुआ कहा जाता है बांटा जाता है। पौराणिक मान्यता है कि छठी मइया की पूजा करने से व्रती को आरोग्यता, सुख-समृद्धि, संतान सुख का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

