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48वीं वाहिनी सशस्त्र सीमा बल के निर्देशानुसार सीमा चौकी डिजियाटोल द्वारा वैज्ञानिक तकनीक से मधुमक्खी पालन प्रशिक्षण कार्यक्रम

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मधुबनी /जयनगर – गोविन्द सिंह भंडारी कमांडेंट 48वीं वाहिनी सशस्त्र सीमा बल के निर्देशानुसार सीमा चौकी डिजियाटोल द्वारा वैज्ञानिक तकनीक से मधुमक्खी पालन प्रशिक्षण कार्यक्रम कराया गया। इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य किसानों और मधुमक्खी पालकों को मधुमक्खी पालन के आधुनिक और वैज्ञानिक तरीकों से अवगत कराना था, जिससे वे अपनी उत्पादन क्षमता में वृद्धि कर सकें और इस व्यवसाय को एक सशक्त आय के स्रोत के रूप में अपनाएं।

प्रशिक्षण के दौरान विशेषज्ञों ने निम्नलिखित बिंदुओं पर विशेष ध्यान केंद्रित किया:
उन्नत मधुमक्खी पालन तकनीकें इसमें आधुनिक मधुमक्खी छत्तों का रखरखाव, मधुमक्खियों की देखरेख और प्रबंधन पर प्रशिक्षण दिया गया।
IMG 20240829 WA0004 48वीं वाहिनी सशस्त्र सीमा बल के निर्देशानुसार सीमा चौकी डिजियाटोल द्वारा वैज्ञानिक तकनीक से मधुमक्खी पालन प्रशिक्षण कार्यक्रमपरागण की वैज्ञानिक प्रक्रिया बताया गया कि किस प्रकार मधुमक्खियाँ फसलों की पैदावार बढ़ाने में सहायक होती हैं और परागण के महत्व को समझाया गया।
-शहद और अन्य उत्पादों की गुणवत्ता शहद के साथ-साथ अन्य उत्पाद जैसे मधुमक्खी मोम, रॉयल जेली और परागकण के उत्पादन और उनकी गुणवत्ता सुधार पर चर्चा की गई।
रोग प्रबंधन मधुमक्खियों को होने वाले विभिन्न रोगों की पहचान, रोकथाम और उपचार के वैज्ञानिक तरीकों पर जानकारी प्रदान की गई।
पर्यावरण संरक्षन मधुमक्खियों के संरक्षण और जैव विविधता को बनाए रखने के महत्व पर भी चर्चा हुई।

इस प्रशिक्षण में बड़ी संख्या में बल के कार्मिकों, किसानों और मधुमक्खी पालन से जुड़े लोगों ने भाग लिया। प्रशिक्षकों ने न केवल सैद्धांतिक जानकारी दी, बल्कि मधुमक्खी पालन के व्यावहारिक पहलुओं को भी सिखाया, जिससे प्रतिभागियों को इसे अपने व्यवसाय में सफलतापूर्वक लागू करने में मदद मिलेगी।

श्री विवेक ओझा, उप कमांडेंट ने अपने संबोधन में कहा, “मधुमक्खी पालन, एक परंपरागत व्यवसाय होने के साथ-साथ, आधुनिक वैज्ञानिक तकनीकों के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को सशक्त बना सकता है। इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम किसानों के लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध होंगे और उन्हें नई ऊंचाइयों तक पहुंचने में मदद करेंगे।”

यह कार्यक्रम किसानों और मधुमक्खी पालन व्यवसायियों के लिए एक महत्वपूर्ण पहल साबित हुआ, जिससे उन्हें मधुमक्खी पालन में नई तकनीकों का उपयोग कर अपने व्यवसाय को अधिक लाभदायक बनाने की प्रेरणा मिली।