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अब सरकारी और निजी अस्पताल को स्वयं इलाज की जरूरत राष्ट्रपति को मनोज झा ने लिखा पत्र

बिहार हलचल न्यूज ,जन जन की आवाज
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प्रदीप कुमार नायक

स्वास्थ्य ही वो अलामत हैं,जिससे व्यक्ति प्रसन्न एवं सक्रिय रहता है l स्वस्थ व्यक्ति ही किसी के काम आ सकता है l अत:इस पर ध्यान देना व्यक्ति की प्रथम प्राथमिकता है l लेकिन स्वस्थ रहना इतना आसान नहीं हैlकारण चिकित्सा बिहार में क्या पूरे भारत में बहुत मंहगी है l जो लोग समर्थ ,संपन्न तथा समृद्ध हैं उनके लिए तो कोई समस्या नहीं है, वे लोग किसी क्लिनिक और नर्सिंग होम्स में तमाम आधुनिक सुविधाओं के साथ अपने धन बल के बूते पर चिकित्सा लाभ प्राप्त कर लेते है l लेकिन भारत में ऐसे संपन्न एवं समृद्ध लोग कितने प्रतिशत है l यानी बहुत अल्प मात्रा में है l अधिकांश लोग तो गरीब है, जिन्हे दो वक्त का खाना भी बहुत कठिनाई से उपलब्ध हो पाता है l ऐसे लोगो के पास सरकारी अस्पतालों के सिवाय दूसरा कोई विकल्प नहीं होता l
चिकित्सा व्यवस्था को लेकर मधुबनी जिला के बाबूबरही विधानसभा क्षेत्र के पूर्व प्रत्याशी एवं समाज सेवा में सक्रिय भूमिका निभाने वाले मनोज झा ने राष्ट्रपति महोदया को एक पत्र देकर यह मांग किया है कि मधुबनी और दरभंगा जिले में सभी निजी और सरकारी अस्पताल को जांच के घेरे में लिया जाय l
IMG 20240715 WA0000 अब सरकारी और निजी अस्पताल को स्वयं इलाज की जरूरत राष्ट्रपति को मनोज झा ने लिखा पत्रउन्होंने लिखा है कि यह एक सामान्य बात हो गई है कि मधुबनी और दरभंगा जिले के सरकारी अस्पताल में लोग इलाज कराने मजबूरी में जाते है और सीरियस मरीज को वो लोग भर्ती लेने से मना कर देते है,और इन्हे निजी अस्पताल के तरफ रुख करना पड़ता है l वहीं निजी अस्पताल तथा नर्सिंग होम वाले इनसे पूरा पैसा वसूली करते है और अंत में मरीज की जब स्थिति काफी गंभीर हो जाती हैं तो खुद को बचाने के लिए गंभीर मरीज को रेफर कर देते है या मरीज के परिजनों से भारी कीमत वसूलने के बाद डिस्चार्ज होकर कहीं अन्यत्र जाने के लिए मजबूर कर देते है l
पूरे मिथिलांचल वासियों की ओर से उन्होंने राष्ट्रपति से आग्रह करते हुए लिखा है कि सभी निजी और सरकारी अस्पतालों पर एक साथ जांच बिठाकर अपराधियों को चिन्हित कर कानूनी कार्रवाई का आदेश जारी करें l
आपको बताते चले कि मधुबनी और दरभंगा जिले की चिकित्सा व्यवस्था पूरी तरह से दिन – ब – दिन चौपट होती जा रही है l यहां सरकारी और निजी दोनों अस्पताल भगवान भरोसे चल रही है,जहां मरीजों की सुधि लेने वाला कोई नहीं है l यहां निजी नर्सिंग होम और क्लिनिक के नाम से संचालित हो रहे इलाज के इस केन्द्र पर लोगों से मनमाना रकम वसूला जाता हैं,इलाज के नाम पर उनका शोषण किया जाता है l
कोई भी सरकार अस्पताल की कुव्यवस्था नही सुधार पाई l कारण किसी सरकार ने स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया l यदि लिया होता तो मधुबनी और दरभंगा जिले की तमाम अस्पताल की यह दुर्दशा तो नही होती,जो अभी वर्तमान में हैं l
कितने दुःखकी बात है कि जो संस्था रोगियों के रोग दूर करने के लिए स्थापित है,और जब वह संस्था स्वयं ही बीमार पड़ जाय,तो फिर क्या होगा ? रोगियों को यह संस्था कैसे निरोगी बनाएगी? अस्पताल मौन होते हुए भी चीख और रो रहा हैं l लेकिन इसकी बात न कोई सुनने वाला है और न ही इसकी स्थिति कोई देखने वाला हैं l