बिहार

राज्य के हजारों अप्रशिक्षित शिक्षकों के नौकरी संकट में  फंसते जिससे अप्रशिक्षित शिक्षकों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर टकटकी लगाए हुए हैं

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मधुबनी संवाददाता

राज्य के अप्रशिक्षित शिक्षको के मामले में हाल में हाई कोर्ट पटना के द्वारा पारित आदेश के बाद राज्य के हजारों अप्रशिक्षित शिक्षको के नौकरी संकट में फंस गई है। जिससे अप्रशिक्षित शिक्षको ने सूबे के मुख्यमंत्री की ओर टकटकी लगाए है और अपने साथ हुए अन्याय के लिए शिक्षा पदाधिकारीयों को जिम्मेवार बताते हुए राज्य सरकार से नीतिगत और मानवीय न्याय की गुहार लगाते हुए उन्हे सेवा में रखने पर विचार करने की मांग कर रहे है। जिसको लेकर पटना में शिक्षक कल्याण संघ बिहार से जुड़े सदस्यों की एक बैठक संघ के अध्यक्ष नीरज कुमार की अध्यक्ष्ता में अयोजित हुई। जिसमे यह बात पर जोर दी गई की बिहार सरकार के शिक्षा विभाग के अधिकारियों की लापरवाही का खमियाजा भुगतना पड़ रहा है अप्रशिक्षित शिक्षकों को बिहार सरकार ने एन सीटी ई के आदेश से 2003से 2015तक भारी संख्या में अप्रशिक्षित शिक्षकों की नियुक्ति राज्य के प्राथमिक विद्यालयों में की थी जिसको प्रशिक्षित करने की जिम्मेदारी राज्य सरकार के शिक्षा विभाग की थी।

राज्य में प्रशिक्षण संस्थान और संसाधन उपलब्ध नहीं होने के कारण समय पर अप्रशिक्षित शिक्षकों को प्रशिक्षित नहीं किया गया जिस की नाकामी को छिपाने के लिए शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने पंद्रह साल से अधिक समय से कार्यरत छः हजार अप्रशिक्षित शिक्षकों को सेवा मुक्त करने का आदेश जारी कर दिया।
आर टी आई कार्यकर्ता सह संघ के संरक्षक निराला चौधरी ने बताया कि शिक्षकों को साठ साल के लिए बहाल किया था लेकिन पांच दस साल नौकरी करने के बाद उनको नौकरी से निकाल कर उसके परिजनों को बर्बाद कर दिया है। मासूम परिजन और परिवार के बुजुर्ग सदस्य बिना दवा और दाना के मर रहे हैं। लगता है कि हम लोग कंपनी के शासन में सांस ले रहे हैं।
शिक्षक कल्याण संघ के अध्यक्ष नीरज कुमार ने कहा कि पश्चिम बंगाल, झारखंड और भारत के क ई अन्य राज्यों में अप्रशिक्षित शिक्षकों को प्रशिक्षित करने की समय सीमा बढा कर सेवा में बरकरार रखते हुए अप्रशिक्षित शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जा रहा है।
शिक्षक कल्याण संघ के सचिव सत्य प्रकाश पटेल ने कहा कि जब बिहार सरकार के पास अप्रशिक्षित शिक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिए संस्थान और संसाधन उपलब्ध है तो फिर अप्रशिक्षित शिक्षकों को प्रशिक्षित करने के बजाय नौकरी से निकाल क्यों रही है यह मानवाधिकार का खुल्लम खुल्ला उल्लंघन का मामला है। वही संघ की उपाध्यक्ष पिकी दास का कहना है की सरकार उनके जैसे हजारों अप्रशिक्षित शिक्षकों से किस जन्म का दुश्मनी का बदला शिक्षा विभाग द्वारा लिया जा रहा है यह समझ से परे है उनके जैसे सैकड़ों वैसे अप्रशिक्षित शिक्षक है, जिनका अप्रशिक्षित रहने में कोई दोष सिद्ध नहीं है जिन्हे न सरकारी तौर से प्रशिक्षण कराया गया और नहीं उन्हें खुद से प्रशिक्षण करने की विभागीय अनुमति प्रदान की गई फिर भी उन्हें उनके जैसे मामलों से संबंध रखने वाले शिक्षको को सेवामुक्त किया गया है।मीडिया प्रभारी सह प्रदेश प्रवक्ता मोहम्मद इरफानुल हक ने कहा कि सरकार की दोहरी नीति बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है एक तरफ कोर्ट के आदेश के बावजूद प्राथमिक कक्षाओं में बहाल बीएड डिग्री धारक को नहीं हटाया गया जबकि अप्रशिक्षित शिक्षकों के मामले में कोर्ट के आदेश की ग़लत व्याख्या और आर टी ईसंशोधन एक्ट को ग़लत ढंग से पेश कर पंद्रह सालों से कार्यरत छः हजार अप्रशिक्षित शिक्षकों को प्रताड़ित करने का काम शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों द्वारा किया जा रहा है जो संविधान के शासन पर बहुत गंभीर सवाल खड़ा कर दिया गया है।

अंत में संघ के सदस्यों द्वारा बिहार सरकार से मांग किया गया कि जल्द से जल्द अप्रशिक्षित शिक्षकों को सेवा में बरकरार रखते हुए प्रशिक्षित किया जाए।