बिहार

निषादों को 15 जातियों में बांटकर गणना कराने पर होगा आंदोलन : ऋषिकेश कश्यप एवं प्रयाग सहनी

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पटना /राज्य सरकार द्वारा जातीय गणना के दौरान निषादों को 15 जातियों में बांट कर गणना करने का मुद्दा गरमाने लगा है। राज्य सरकार द्वारा बिहार में निषादों की जनसंख्या आबादी से डरकर जातीय गणना में निषादों को 15 जातियों में बांट कर अलग-अलग को निर्धारित किया गया है ।सरकार द्वारा बांटी गई सभी 15 जातियों निषादों की है। इनका पेसा मछली पकड़ना वह बेचना है ये बातें राष्ट्रीय एवं बिहार राज्य मत्स्य जीवी सहकारी संघ के प्रबंधक निर्देशक ऋषिकेश कश्यप एवं अध्यक्ष प्रयाग सहनी ने संवाददाता सम्मेलन में कही।

उन्होंने सरकार को चेतावनी दी कि अगर सरकार निषादों की सभी जातियों को एक कोड के अंतर्गत गन्ना नहीं करती है तो निषाद आंदोलन करने को बाध्य होंगे 15 जातियों बिहार में प्रखंड स्तर पर गठित मछुआ सहयोग समिति एवं बिहार राज्य सहकारी संघ के सदस्य हैं । संघ के द्वारा इस संबंध में मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर अनुरोध किया गया था कि एथनोग्राफिक रिपोर्ट के आधार पर सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा आरक्षण हेतु परिचालित अत्यंत पिछड़े वर्गों की सूची (अनुसूची 01) के क्रमांक07केवट, 11 कैवर्त, 21गोरी,22 गङ्गे,23  गंगोता,28चांय,35तुरहा,36तियर,42नोनिया,52बेलदार,53बिनद 64  मल्लाह ,65मझवार,67 गोरियारी, एवं73 वनपर पर अंकित जातियों को निषाद श्रेणी में रखा गया है।

परंतु सरकार ने इसे नजरअंदाज करते हुए कहा कि जातियों को वितरित करने का प्रस्ताव अति पिछड़ों के लिए गठित बिहार पटना से परामर्श प्राप्ति हेतु पत्र लिखा गया है ।उसके बाद कार्रवाई की जाएगी एवं यादव की सभी जाति को किया जा चुका है। गन्ना में एवं यादव को एक कोड के अंतर्गत रखा गया है।

वहीं निषाद को कोड में बांटा गया है। सरकार अगर 15 दिनों के अंदर इस पर निर्णय नहीं लेती है तो संघ के साथ राज्यव्यापी आंदोलन किया जाएगा ।

संवाददाता सम्मेलन में बिहार राज्य मत्स्य जीवी सहकारी संघ के निर्देशकगन कुमार शुभम ,अभिलाष कुमार सानिध्य राज ,मदन कुमार ,बजरंग नाथ सिन्हा, रविंद्र कुमार, अभिलाषा सिंह एवं जयशंकर मीडिया प्रभारी उपस्थित थे।