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कला, संस्कृति एवं युवा विभाग तथा बिहार विरासत विकास समिति द्वारा “विश्व विरासत सप्ताह – 2025” के अंतर्गत एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी

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पटना/विश्व विरासत सप्ताह (19–25 नवंबर 2025) के अवसर पर कला, संस्कृति एवं युवा विभाग तथा बिहार विरासत विकास समिति द्वारा “विश्व विरासत सप्ताह – 2025” के अंतर्गत एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का सफल आयोजन संगोष्ठी का विषय “बिहार के विश्व विरासत : वर्तमान एवं भविष्यगत संभावनाएँ

कार्यक्रम की शुरुआत ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ की मंगल धुन पर दीप प्रज्वलन के साथ हुई। दीप प्रज्वलन मेश्री अंजनी कुमार सिंह, महानिदेशक, बिहार संग्रहालय, पटनाश्रीमती रूबी, निदेशक, संस्कृति निदेशालय, कला संस्कृति एवं युवा विभागश्री कृष्ण कुमार, कार्यपालक निदेशक, बिहार विरासत विकास समिति एवं निदेशक, पुरातत्व एवं संग्रहालय निदेशालय डॉ विजय कुमार चौधरी, पूर्व कार्यपालक निदेशक, बिहार विरासत विकास समिति प्रो. जयदेव मिश्रा, पूर्व विभागाध्यक्ष, प्राचीन भारतीय इतिहास एवं पुरातत्व विभाग, पटना विश्वविद्यालय डॉ उमेश चंद्र द्विवेदी
आदि विशिष्ट अतिथिगण सम्मिलित हुए।कार्यक्रम की अध्यक्षता बिहार विरासत विकास समिति के कार्यपालक निदेशक श्री कृष्ण कुमार ने की।

वक्ताओं के विचार

1. श्री अंजनी कुमार सिंह, महानिदेशक, बिहार संग्रहालय

उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि सभ्यताओं के विकास का चक्र निरंतर चलता रहता है। भारत की प्राचीन सभ्यता अत्यंत विकसित थी, बाद में विकास का केंद्र पश्चिम की ओर गया और अब पुनः पूर्वाभिमुख प्रवृत्तियाँ स्पष्ट दिख रही हैं।
उन्होंने कहा कि—
“हम अपने प्राचीन सभ्यताओं की उन्नति प्राचीन मूर्तियों में अंकित बालों के गुच्छों, शिल्प एवं कलात्मक विशेषताओं को देखकर समझ सकते हैं। हमें अपनी सांस्कृतिक विरासत पर गर्व होना चाहिए।”

2. प्रो. जयदेव मिश्रा, पूर्व विभागाध्यक्ष प्राचीन भारतीय इतिहास एवं पुरातत्व विभाग , पटना विश्वविद्यालय

प्रो. मिश्रा ने कहा कि हमें पूर्व की खोजों से आगे बढ़ते हुए और अनुसंधान करने की आवश्यकता है।
उन्होंने प्रसिद्ध इतिहासकार कल्हण और उनकी कृति ‘राजतरंगिणी’ का उल्लेख करते हुए कहा कि—
“इतिहास को बिना भेदभाव और ईर्ष्या के लिखा जाना चाहिए। हमें अपनी विरासतों को संरक्षित और सुरक्षित रखना अनिवार्य है।”

3. डॉ उमेश चंद्र द्विवेदी

उन्होंने कहा कि बिहार और खासकर मगध की मिट्टी इतिहास से भरपूर है।
उन्होंने कहा—
“हमने मोहनदास गांधी को महात्मा गांधी बनाया। आजादी के बाद देश का सबसे बड़ा छात्र आंदोलन भी बिहार ने दिया। हमें अब भी इतिहास की कई धरोहरों को खोजने की आवश्यकता है।”

4. डॉ विजय कुमार चौधरी, पूर्व कार्यपालक निदेशक, बिहार विरासत विकास समिति

अपने वक्तव्य में उन्होंने कहा—
“दुनिया का हर देश अपने इतिहास को गौरवशाली बताता है। एशिया की अधिकांश सभ्यताओं के विकास पर बिहार का प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। मैंने विश्व की अनेक प्राचीन सभ्यताओं के अवशेषों का अवलोकन किया है, परंतु पाँच पहाड़ियों से घिरी मगध साम्राज्य की पहली राजधानी राजगृह अद्भुत और अद्वितीय है।”
उन्होंने यह भी कहा कि—
“बिहार में भगवान बुद्ध का पवित्र अवशेष सुरक्षित है। हमें इसे दुनिया के सामने और प्रभावी तरीके से रखना चाहिए ताकि विश्व हमारी प्राचीन सांस्कृतिक महत्ता को समझ सके।”

अध्यक्षीय भाषण

कार्यक्रम के अध्यक्ष श्री कृष्ण कुमार, कार्यपालक निदेशक, बिहार विरासत विकास समिति ने सभी वक्ताओं के विचारों को अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हुए कहा—
“हमारी समृद्ध विरासत को विश्व मंच तक पहुँचाने और संरक्षित करने के लिए आवश्यक सभी प्रयास बिहार विरासत विकास समिति द्वारा पूर्ण प्रतिबद्धता के साथ किए जाएंगे।”

अंत में श्री अरविंद तिवारी, उप कार्यपालक निदेशक, बिहार विरासत विकास समिति ने सभी अतिथियों, प्रतिभागियों एवं आयोजन से जुड़े सभी सहयोगियों को धन्यवाद ज्ञापित किया। उक्त कार्यक्रम में विभाग के संयुक्त सचिव श्री महमूद आलम तथा उपसचिव सुश्री कहकशां ,अन्य अधिकारीगण एवं इतिहास में रूचि रखने वाले कॉलेज के छात्र छात्राएं अत्यधिक संख्या में मौजूद थें .