आज इंदिरा गांधी होती तो पाकिस्तान छोड़िए अमेरिका भी भारत से थर-थर कांपता
दिल्ली/दुनिया की राजनीति में अभी तक सिर्फ एक महिला ऐसी पैदा हुई, जिसके साहस, जिसके संकल्प और जिसकी दूरदर्शिता देखकर दुनिया उसे आयरन लेडी कहने पर मजबूर होना पड़ा।और उनका नाम था- इंदिरा गांधी। उन्होंने अपनी दृढ़ता से अपने देश के लिए ऐसे-ऐसे फैसले लिए हैं ,जिसको कोई और नहीं ले सकता था।आज उनकी 108वें जन्मदिन पर पूरा देश उनको याद कर रहा है। देश के लोग उन्हें नमन कर रहे हैं।आज उनकी कमी देश को खल रही है। आज वो जिंदा होती तो पाकिस्तान की बात तो छोड़ दीजिए, अमेरिका और चीन की औकात भी भारत को आंख दिखाने की ना होती।
1971 के भारत–पाक युद्ध के समय जब अमेरिका भारत के खिलाफ सांतवा बेड़ा भेजने की धमकी दे रहा था, तब इंदिरा ने अमेरिका के राष्ट्रपति निक्सन को उसकी औकात बताते हुए कहा था कि निक्सन तुम 7वां नहीं 70वां बेड़ा भेज दो लेकिन याद रखना कि अब पाकिस्तान को दुनिया की कोई ताकत नहीं बचा पाएगा।और हुआ वही, जो इंदिरा ने चाहा। पाकिस्तान के टुकड़ों हो गए, इंदिरा ने नया देश बनाया बांग्लादेश।
1975 में सिक्किम का भारत में विलय कराने की बात हो या दुनिया की तमाम धमकियों के बीच पोखरण में परमाणु परीक्षण कराने की बात हो, इंदिरा ने जो किया जो किया पूरी ताकत और डंके की चोट पर किया।
अलगाववाद, विद्रोह और आर्थिक अस्थिरता जैसे मुद्दों से उन्होंने जिस तरह मुकाबला किया, उसका उदाहरण दुनिया के किसी नेता में नहीं दिखता।
अप्रैल, 1984 में जब उन्हें पता चला कि पाकिस्तान सियाचिन में बदमाशी कर रहा है तो उन्होंने पाकिस्तान का ऐसा बुखार छुड़ाया कि पाकिस्तान सियाचिन छोड़कर हमेशा के लिए भाग गया। और सियाचिन पर भारत ने कब्जा किया।
1969 में 14 बड़े निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण हो या हरित क्रांति को गति देने की बात हो या गरीबों के लिए रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य और उनकी भलाई के लिए गरीबी हटाओ योजन की बात हो…उन्होंने देश के करोड़ों लोगों को नई जिंदगियां दी।राजघरानों के पेंशन को खत्म कर देश में सार्वजनिक सेक्टर की क्रांतिकारी स्थापना का श्रेय भी इंदिरा जी को ही जाता है।इंदिरा जी कहती थी कि अगर मैं मरूंगी तो मेरी खून का एक-एक कतरा देश के काम आएगा…..ऐसी बोल्ड सोच थी, उस महान नेता की। न देश के स्वाभिमान से कभी समझौता किया, न ही खुद की आलोचना से कभी घबराई।

